Tagged: Anupam Kher

इमरजेंसी: इंदिरा की तलाश में भटकती कंगना की फिल्म

यह फिल्म इमरजेंसी की घटना को शीर्षक रूप में रख कर बनाई ज़रूर गई है लेकिन फिल्म की निर्माता-निर्देशक और केंद्रीय भूमिका निभा रही कंगना रनौत ने इसका कालखंड इंदिरा गांधी के बचपन से लेकर उनकी हत्या तक फैला दिया है। इस वजह से यह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ढीलीढाली, छितरी हुई बायोपिक जैसी बन गई है।

सिनेमा के साहित्य की समीक्षा: फिल्म सारांश

“हम सब का अंत है मगर जीवन का अंत नही है”। जीवन चला चलता है। महेश भट्ट की 1984 में बनाई फिल्म सारांश की साहित्यिक समीक्षा।