40 साल पहले की ‘सुबह’ में झलकता आज का सच

फ़िल्म ‘सुबह’ की ‘सावित्री’ का द्वंद्व इसी अस्मिता और पारिवारिकता के बीच सामंजस्य का है। वह जितना अपनी अस्मिता के प्रति सचेत है उतना ही अपने परिवार से प्रेम भी करती है। मगर विडम्बना कि…