मुग़ल ए आज़म 4: अकबर की हुकूमत में एक संगतराश की आवाज़
‘मुग़ले आज़म’ की पूरी कथा इन्हीं तीन चित्रों के इर्दगिर्द बुनी गई है। अकबर द्वारा एक कनीज को मौत की सजा देना उस चित्र की माफिक है जिसमें बताया गया है कि ”शहंशाह की जबान से निकला हर लफ्ज इंसाफ है जिसकी कोई फरियाद नहीं“। अनारकली के लिए सलीम और अकबर में युद्ध होना जंग के उस चित्र की तरह है जिसके बारे में संगतराश कहता है, ”और ये मैदाने जंग है… लाखों लोगों की मौत और एक इंसान की फतह“। अनारकली का दिवार में चुनवा दिया जाना उस तीसरे चित्र के समान है जिसके बारे में संगतराश कहता है, ”और ये है, सच बोलने का अंजाम, सजा-ए-मौत“।
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