95वां ऑस्कर: अनाथ हाथी, पुतिन के प्रतिद्वंद्वी से लेकर मल्टीवर्स तक फैला कंटेंट
95वें ऑस्कर पुरस्कार कंटेंट और उसकी शैली को लेकर नई राह दिखाने वाला है। जिन फिल्मों को पुरस्कृत किया गया है, उनमें युद्ध की निरर्थकता, रिश्तों में घटते मूल्य और समर्पण, अवसाद-अकेलापन, प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, ब्रह्मांड का कौतूहल और अनजाने का डर…सब कुछ है। हालांकि यूरोप के तमाम फिल्म फेस्टिवल्स की तरह एकैडमी अवॉर्ड्स पर भी रूस-यूक्रेन युद्ध की छाया दिखी, लेकिन अपनी तरह से। ऑस्कर में पुरस्कृत हुई फिल्मों के बहाने उन फिल्मों और उनके इर्द गिर्द एक चर्चा के तौर पर आशीष कुमार सिंह का आलेख।
95वें ऑस्कर समारोह मेंअमेरिका समेत दुनियाभर की फिल्मों को उत्कृष्ट काम के लिए कुल 23 कैटेगरी में अवॉर्ड दिए गए।
भारत के लिए इस बार के ऑस्कर अवॉर्ड समारोह बहुत खास थे, क्योंकि यहां की 3-3 फिल्मों को नामांकन मिले थे। पिछले साल की बहुचर्चित फिल्म ‘आरआरआर’ के गाने ‘नाटू नाटू’ को बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग का नामांकन मिला था, जो आखिरकार इसने जीत लिया। समारोह के दौरान मंच पर इसके गायकों राहुल सिपलीगंज और कालभैरव (संगीतकार एम एम कीरावनी के बेटे और कंपोज़र-सिंगर) पेश भी किया गया। प्रस्तुति से पहले इस गाने को बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पदुकोन ने मंच पर बहुत ही खूबसूरती से इंट्रोड्यूस किया। मंच पर पावरपैक्ड प्रस्तुति के दौरान बैकड्रॉप पर भी लोगों का ध्यान गया, जिसमें फिल्म में गाने की मूल लोकेशन की तस्वीर चिपकी रही, जो दरअसल यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का महल है। ये गाना वहीं पर रूस-यूक्रेन युद्ध शुरु होने के पहले 2021 में शूट हुआ था, पूरा गाना पहीं फिल्माया गया है।
भारत की दूसरी और सबसे खूबसूरत एंट्री थी ‘द एलीफैंट व्हिस्परर्स’ जिसे कार्तिकी गोंसालवेज़ ने निर्देशित किया था और गुनीत मोंगा ने प्रोड्यूस किया था। इसे बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट (जिन फिल्मों की अवधि 40 मिनट से कम होती है) की कैटेगरी में ऑस्कर मिला। ये फिल्म तमिलनाडु के जंगलों में रहने वाले एक दंपति बोमन और बेली की कहानी पर आधारित है, जिन्होने एक अनाथ नन्हे हाथी रघु को पाने के बाद उसे पालने पोसने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। ये एक खूबसूरत फिल्म है और नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है, इसे ज़रुर देखना चाहिए।
भारत की एक और प्रमुख एंट्री थी फीचर लेंथ डॉक्यूमेंट्री में फिल्मकार शौनक सेन (जो जाने माने फिल्म समीक्षक राजा सेन के भाई हैं) की डॉक्यूमेंट्री ‘ऑल दैट ब्रीद्स’, जो इकोसिस्टम में चीलों की अहमियत को समझते हुए उन्हे बचाने में जुटे दिल्ली के दो भाइयों की कहानी पर आधारित है, लेकिन ये फिल्म ऑस्कर पाने से चूक गई।
क्यों… क्योंकि इस कैटेगरी में ऑस्कर मिला डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘नावेलनी’ को। बता दें एलेक्सी नावेलनी रूस के प्रमुख विपक्षी नेता हैं और पुतिन के घोर विरोधी हैं। पिछले साल उन्हे भ्रष्टाचार के आरोप में सजा सुनाई गई थी, और तब से वो रूस की जेल में बंद हैं। पुतिन के विरोधी होने की वजह से ‘नावेलनी’ को भी ऑस्कर मिलना एक तरह से तय ही था। अवॉर्ड रिसीव करने मंच पर निर्देशक डैनियल रोहर के साथ नावेलनी की पत्नी यूलिया भी मौजूद थीं। ‘नावेलनी’ को ऑस्कर दिए जाने पर रूस ने इसे हॉलीवुड का राजनीतिकरण करार दिया है।
प्रमुख श्रेणियों के पुरस्कारों की बात करें तो इस बार ऑस्कर समारोह में ‘डैनियल्स’ के नाम से मशहूर निर्देशक द्वय डैनियल क्वान और डैनियल शाइनर्ट की फिल्म ‘एवरीथिंग एवरीव्हेयर ऑल एट वन्स’ (EEAAO) ने लगभग सभी प्रमुख श्रेणियों में कुल 7 ऑस्कर जीत कर अपना परचम लहराया। इसे कुल 11 अवॉर्ड्स के लिए नामांकित किया गया था, जिसमें से बेस्ट फिल्म (फिल्म के कुल 7 निर्माताओं में प्रमुख दो निर्माता मशहूर रूसो ब्रदर्स हैं, जिन्हने ‘एवेंजर्स एंड गेम’ बनाई थी और मार्वल की 4 फिल्में निर्देशित कर चुके हैं ), बेस्ट डायरेक्टर (डैनियल्स), बेस्ट स्क्रीनप्ले (डैनियल्स), बेस्ट एडिटिंग (पॉल रोजर्स), बेस्ट एक्ट्रेस (मिशेल यो), बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर (के हुई क्वान), बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस (जेमी ली कर्टिस) कैटेगरी में इसने ऑस्कर हासिल किए।
इस बार ऑस्कर में छायी रही फिल्म ‘एवरीथिंग एवरीव्हेयर ऑल एट वन्स’ को कई लिहाज़ से काफी खास कहा जा रहा है। ऊपरी तौर पर ये एक एक्शन फिल्म लगती है, जिसमें मल्टीवर्स को बचाने की जद्दोजहद है। लेकिन इस थीम में कई परतें हैं जो इस फिल्म को गहराई देती है। फिल्म दरअसल अधेड़ उम्र की एक प्रवासी अमेरिकी-चीनी एवलिन वांग की कहानी है, जो जीवन के संघर्षों से जूझ रही है…जिसमें आजीविका पर आया संकट भी, पति-बेटी-पिता से रिश्तों का संकट है और जीवन की नीरसता और अवसाद भी है। लेकिन सबकुछ अचानक तब बदल जाता है जब वो पैरेलल यूनिवर्स से अपने ही एक हमवजूद से मिलती है और फिर उस पर अचानक पूरे मल्टीवर्स को बचाने की जिम्मेदारी आ जाती है। इस कहानी में फैंटेसी है तो कॉमेडी भी है, साइंस फिक्शन है तो फैमिली ड्रामा भी… और अपनी इसी कहानी और प्रेजेंटेशन स्टाइल से ये जीवन के उन मुद्दों को उठाती है, जहां दर्शकों से इसका एक कनेक्ट एस्टैब्लिश होता है। शैली में मनोरंजन है और कथ्य में गहराई और यही इसकी सबसे बड़ी ताकत बनती है।
बेस्ट एक्टर का ऑस्कर ‘द व्हेल’ के लिए ब्रेंडन फ्रेज़र को मिला। बेस्ट इंटरनेशनल फिल्म का अवॉर्ड जर्मन फिल्म ‘ऑल क्वाएट ऑन द वेस्टर्न फ्रंट’ को मिला जो इसी नाम के प्रथम विश्वयुद्ध पर आधारित एरिक मारिया रमार्क के उपन्यास पर आधारित है। 1029 का ये उपन्यास और फिल्म युद्ध की निरर्थकता को रेखांकित करती है। इस फिल्म ने 3 और ऑस्कर जीते जिनमें ओरिजिनल स्कोर, प्रोडक्शन डिज़ाइन और सिनेमाटोग्राफी शामिल है।
बॉक्स ऑफिस पर सबसे अधिक कमाई का रिकॉर्ड रचने वाली दिग्गज निर्देशक जेम्स कैमरुन की फिल्म ‘अवतार: द वे ऑफ वॉटर’ को सिर्फ बेस्ट विजुअल इफेक्ट्स का ऑस्कर मिला, जबकि मशहूर अभिनेता टॉम क्रूज़ की चर्चित फिल्म ‘टॉप गन मावरिक’ को साउंड का ऑस्कर मिला। ये दोनों ही समारोह में मौजूद नहीं रहे।
बेस्ट एनीमेशन फिल्म का अवॉर्ड मेक्सिकन फिल्कार गिलेर्मो देल तोरो की फिल्म ‘पिनोशियो’ को मिला। ये जानना दिलचस्प है कि देल तोरो को इससे पहले 2018 में अपनी फिल्म ‘द शेप ऑफ वॉटर’ के लिए भी बेस्ट पिक्चर और बेस्ट डायरेक्टर और 2007 में ‘पैन्स लैबिरिंथ’ के लिए बेस्ट स्क्रीनप्ले का ऑस्कर मिल चुका है।
हाल के दशक में मेक्सिकन मूल के फिल्मकारों ने हॉलीवुड में बेहद मज़बूत उपस्थिति दर्ज कराई है, जिनमे देल तोरो के अलावा प्रमुख हैं एलफोंसो क्वेरोन (‘हैरी पॉटर एंड द प्रिज़नर ऑफ एज़्काबान’, ‘ग्रेविटी’, ‘रोमा’), एलेजांद्रो गोंज़ालेज़ इनारितु, (‘बर्डमैन’, ‘द रेवनेंट’)। ये तीनों 3 दोस्त के तौर पर भी लोकप्रिय हैं और ‘चा चा चा फिल्म्स’ के नाम से इनका एक संयुक्त प्रोडक्शन हाउस भी है।
मार्वल स्टूडियोज़ की चर्चित ‘ब्लैक पैंथर वाकंडा फॉरएवर’ को सिर्फ बेस्ट कॉस्ट्यूम के लिए ऑस्कर मिला। मार्वल के बेहद लोकप्रिय किरदार ‘ब्लैक पैंथर’ (वाकंडा के राजा टी चाला के नाम से भी लोकप्रिय) को पर्दे पर अभिनेता चैडविक बोसमैन निभाते थे, जिनका अगस्त 2020 में कैंसर से निधन हो गया था। संभवत: ब्लैक पैथर के क्रेज़ को भुनाने के लिए ये फिल्म बनाई गई थी। फिल्म में वाकंडा राज्य के राजा टी चाला के निधन के बाद इसको बचाने की कहानी दिखाई गई है।
एशिया और भारत के लिए इस बार के ऑस्कर में कुछ और भी खास बातें रहीं। जैसे कि बेस्ट एक्स्ट्रेस की कैटेगरी में पहली बार किसी एशियन अभिनेत्री (मिशेल यो, मलेशिया, EEAAO के लिए) ने ऑस्कर जीता। वहीं ‘नाटू नाटू’ को मिला बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग का अवॉर्ड भी पहली बार किसी भारतीय प्रोडक्शन के लिए मिला इस कैटेगरी का अवॉर्ड है। बेस्ट डॉक्यूमेंट्री के तौर पर भी पहली बार किसी भारतीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म को ये अवॉर्ड मिला है। इससे पहले 2019 में ‘पीरियड: एंड ऑफ सेंटेंस’ को इस कैटेगरी में ऑस्कर मिला था, जिसमें दिल्ली की पृष्ठभूमि थी, लेकिन इसकी निर्देशक अमेरिकी-ईरानी राएका ज़ेताब्ची थीं। गुनीत मोंगा इसकी एक्जीक्टूयिव प्रोड्यूसर थीं। जबकि 2008 में इसी कैटेगरी में ऑस्कर पायी फिल्म ‘स्माइल पिंकी’ की पृष्ठभूमि भी भारत (यूपी) थी लेकिन उसकी निर्माता निर्देशक अमेरिका की मेगन मायलन थीं। जबकि फीचर लेंथ डॉक्यूमेंट्री की कैटेगरी में इस बार नामांकित होकर चूक गई ऑल दैट ब्रीद्स (निर्माता-निर्देशक- शौनक सेन) की ही तरह 2021 में राइटिंग विद फायर (बुंदेलखंड की दलित महिलाओं द्वारा प्रकाशित अखबार ‘खबर लहरिया’ पर आधारित) भी इसी कैटेगरी में नामांकित हुई और चूक गई। ये फिल्म रिंटू थ़ॉमस और सुश्मित घोष द्वारा निर्मित और निर्देशित थी। दोनों ही फिल्में भारतीय द्वारा निर्मित और निर्देशित थीं, अगर इन्हे सफलता मिलती तो ये भी ऐतिहासिक होता… लेकिन इस कैटेगरी के लिए शायद थोड़ा और इंतज़ार करना होगा। उम्मीद करें कि इस ऐतिहासिक उपलब्धि का इंतज़ार अच्छे कंटेंट के लिए फिल्मकारों को और प्रेरित करेगा।