Adoor Gopalakrishnan: The Relentless Innovator Who Redefined Malayalam Cinema

Adoor Gopalakrishnan has redefined the language of Indian cinema with his uncompromising vision, artistic courage, and deep-rooted cultural sensibility. On Adoor’s 84th birthday, this tribute by V K Cherian explores the milestones, methods, and the magical realism that mark Adoor’s unparalleled contribution to world cinema.

टॉक सिनेमा ऑन द फ़्लोर– एक सार्थक शुरुआत

नई दिल्ली फिल्म फाउंडेशन (NDFF) की पहल ‘टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर’ के पहले आयोजन ने आयोजन ने न केवल सिनेमा प्रेमियों और नवोदित फिल्मकारों को जोड़ने का काम किया, बल्कि NDFF के ‘मेक सिनेमा’ जैसे सार्थक अभियानों की घोषणा के साथ एक नई सिनेमाई संस्कृति की दिशा में ठोस कदम भी बढ़ाया।

टॉक सिनेमा ऑन द फ़्लोर: क्रिएटिव टैलेंट्स-फिल्म प्रेमियों का साझा मंच

कहानियों, कहानीकारों, फिल्मकारों और फिल्मों से जुड़ी कला के सभी कलाकारों के लिए एक मंच। आइए जुड़ें एक ऐसे मूवमेंट से, जो फिल्ममेकरों, कलाकारों, लेखकों और सपनों को आकार देने वालों के लिए एक रचनात्मक ईकोसिस्टम बना रहा है — बातचीत से लेकर सहयोग और निर्माण तक।

Nutan: The Quintessential Actress of Hindi Cinema

On the birth anniversary of the great actress Nutan, this article delves into five of her most iconic films – Seema, Sujata, Bandini, Tere Ghar Ke Saamne, and Saudagar – highlighting her genius that continues to inspire generations.

Remembering Rituparno Ghosh…

Rituparno Ghosh came into the limelight with ‘Unishe April’ in 1994. Over the next twenty years, and twenty feature films, he not only breathed new life into the industry, but also went on to wield the kind of influence and attain a stature that few film-makers from Bengal had before him.

कान 2025 (9): विश्व सिनेमा में ईरानी फिल्मों की वापसी

जफर पनाही के अलावा ईरान के अब्बास किरोस्तामी और असगर फरहदी को भी कान फिल्म समारोह में काफी महत्व मिलता रहा है। असगर फरहदी को पांच वर्ष के भीतर हीं दो दो बार ऑस्कर पुरस्कार मिला। पहली बार ‘सेपरेशन ‘ (2010) और दूसरी बार ‘सेल्समैन’ (2015) के लिए।

कान 2025 (8): प्रतिरोध के फिल्मकार जफ़र पनाही की फिल्म को सर्वोच्च सम्मान

पाम डी’ओर पुरस्कार के लिए जब जफ़र पनाही का नाम पुकारा गया तो ग्रैंड थियेटर लूमिए में करीब साढ़े तीन हजार दर्शको ने खड़े होकर देर तक ताली बजाकर खुशी का इजहार किया। जूरी की अध्यक्ष जूलिएट बिनोशे ने कहा कि जफ़र पनाही अपने देश (ईरान) में मानवीय गरिमा और आज़ादी के लिए तानाशाही और धार्मिक कट्टरवाद के खिलाफ लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं।

कान 2025 (7): IMPPA प्रमुख को निर्माताओं की ग्लोबल संस्था में अहम पद

इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फोटोग्राफिक आर्ट दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों को अपने तय मानदंडों के आधार पर मान्यता प्रदान करती है। कान, बर्लिन, वेनिस, टोरंटो, बुसान सहित दुनिया भर में होने वाले सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह इसी संस्था से मान्यता प्राप्त करते हैं।  भारत में इस संस्था ने केवल चार अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों को मान्यता दी है – गोवा, केरल, बंगलुरु और कोलकाता।