‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’: किशोर लड़कियों के मन में झांकता संवेदनशील सिनेमा


बतौर प्रोड्यूसर ऋचा चड्ढा की पहली और शुचि तलाती द्वारा निर्देशित फिल्म गर्ल्स विल बी गर्ल्स की इन दिनों काफी चर्चा है। बीते साल सनडांस फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शन से इसका फेस्टिवल सर्किट में सफर शुरु हुआ जो साल के अंत तमाम तारीफों और अवॉर्ड पाने तक जारी रहा। इस फिल्म में क्या नया है और क्या खास है…
इस फिल्म के बारे में और इसके अब तक के सफर पर एक समीक्षात्मक आलेख के ज़रिए बता रहे हैं वरिष्ठ लेखक-फिल्म समीक्षक अजित राय।
भारतीय सिनेमा और समाज में सेक्शुएलिटी जितना संवेदनशील मुद्दा रहा है, उतनी संवेदनशीलता या गंभीरता से इसे बरता नहीं गया। निश्चित तौर पर इसकी वजह हमारी सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक माहौल है, क्योंकि आज के ज़माने में भी इस विषय पर बातचीत करना तो दूर, जिज्ञासा प्रकट करना भी अच्छा नहीं माना जाता। पिछले साल सेक्स एजुकेशन पर अमित राय की फिल्म ‘ओ माय गॉड 2’ की काफी तारीफ हुई थी और सेंसर बोर्ड में विवाद भी खूब हुआ था। हालांकि यह एक बेहतर फिल्म थी जो किशोर बच्चों के मनोविज्ञान पर प्रभावी ढंग से प्रकाश डालती थी। यह फिल्म व्यावसायिक रूप से भी बहुत सफल रही थी। अब इसी 18 दिसंबर 2024 को अमेज़न प्राइम वीडियो पर किशोर लड़कियों में सेक्शूऐलिटी की जागरूकता पर भारतीय फिल्मकार शुचि तलाती की फिल्म ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’ रीलीज हुई है।

इसी साल अक्टूबर में हुए मुंबई फिल्म फेस्टिवल – मामी के एशियाई प्रतियोगिता खंड में इस फिल्म का भारत में प्रीमियर हुआ था और इसे जूरी का स्पेशल मेंशन अवॉर्ड, नेटपैक अवॉर्ड, यंग क्रिटिक्स चॉयस अवॉर्ड और फिल्म क्रिटिक गिल्ड का जेंडर सेंसिटिविटी अवॉर्ड मिला। मामी फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म की जोरदार चर्चा रही। फेस्टिवल में युवा दर्शकों ने इसे खूब पसंद किया और हृतिक रोशन, शबाना आजमी, विशाल भारद्वाज सहित मुंबई फिल्म उद्योग की कई जानी-मानी हस्तियां ऋचा चड्ढा और उनके पति अली फज़ल के आमंत्रण पर इस फिल्म को देखने पहुंचे थे। ऋचा चड्ढा इस फिल्म की प्रोड्यूसर हैं और यह उनकी प्रोडक्शन कंपनी की पहली फिल्म है।
शुचि तलाती की तो यह पहली फिल्म है ही इसके बाकी कलाकारों की भी पहली फिल्म है, कनी कुश्रुति को छोड़कर। हालांकि इससे पहले वे कुछ गैर-फीचर फिल्में बना चुकी हैं। उन्होंने लॉस एंजेलिस के अमेरिकन फिल्म इंस्टीट्यूट से सिनेमा की पढ़ाई की है और फ्रांस के कई संस्थानों से भी जुड़ी रहीं हैं।
‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’ का वर्ल्ड प्रीमियर अमेरिका के सनडांस फिल्म फेस्टिवल के वर्ल्ड ड्रामाटिक कंपीटिशन खंड में बीते साल जनवरी 2024 में हुआ और इसे ऑडियंस अवॉर्ड से नवाज़ा गया। साथ ही फिल्म में प्रमुख भूमिका निभाने वाली प्रीति पाणिग्रही को उनके उत्कृष्ट अभिनय के लिए वर्ल्ड सिनेमा ड्रामाटिक का स्पेशल मेंशन जूरी अवॉर्ड भी मिला। इसके बाद यह फिल्म मई 2024 में 77 वें कान फिल्म समारोह में किशोर बच्चों के लिए शुरू किए गए नये खंड कान एक्रांस जूनियर में प्रदर्शित की गई। इसी अक्टूबर में ईजिप्ट के अल गूना फिल्म फेस्टिवल में यह फिल्म ऑफिशियल सेलेक्शन में दिखाई गई। इस फिल्म में पायल कपाड़िया की ‘ऑल वी इमैजिन ऐज़ लाइट’ फिल्म से मशहूर हुई कनी कुश्रुति, प्रीति पाणिग्रही (पहली फिल्म), केशव बिनय किरण आदि ने निभाई है। इस फिल्म की एक और खासियत है कि इसकी अधिकतर तकनीशियन औरतें हैं। शुचि तलाती का कहना है कि ऐसे संवेदनशील विषय फिल्म शूट करते हुए यदि सेट पर केवल महिलाएं ही हों तो कलाकारों को बहुत सुविधा हो जाती है। यह फिल्म कनी कुश्रुति और प्रीति पाणिग्रही के सशक्त और समृद्ध अभिनय के लिए भी याद की जाएगी। इसकी सधी हुई पटकथा भी शुचि तलाती ने ही लिखी है।

फिल्म की कहानी
सोलह साल की मीरा किशोर (प्रीति पाणिग्रही) भारतीय हिमालय की तलहटी में स्थित एक को-एजुकेशन वाले हायर सेकंडरी बोर्डिंग स्कूल में बारहवीं में पढ़ती हैं और स्कूल के इतिहास में पहली बार हेड प्रीफेक्ट (स्कूल मॉनिटर) बनी है। वह स्कूल की टॉपर भी है। यह एक कड़े अनुशासन वाला स्कूल है जहां लड़के-लड़कियों को एकांत में मिलने की आजादी नहीं है। उसी क़स्बे में मीरा के पिता का एक आउट हाउस है जहां परीक्षाओं के दौरान उसकी मां अनीला (कनी कुश्रुति) उसकी देखभाल करने के लिए आकर रहती हैं। परीक्षाओं के दौरान मीरा ज्यादातर समय हॉस्टल की बजाय अपने घर पर ही रहती है। मीरा के टॉप करने की खुशी में उसकी मां अनीला स्कूल में आकर सबको मिठाई बांटती है। मीरा को यह बात बुरी लगती है क्योंकि स्कूल में अभिभावकों को इस तरह कैंपस में आने की अनुमति नहीं है। अनीला उसे समझाती है कि पूर्व छात्रा होने के कारण उसे अनुमति है। वह स्कूल की प्रिंसिपल मिसेज बंसल से मीरा की अकादमिक उपलब्धियों पर गौरवान्वित होकर चर्चा भी करती है।
मीरा को अचानक महसूस होता है कि वह अपने एक सहपाठी श्रीनिवास के प्रति आकर्षण का अनुभव करने लगी है। उसे सब श्री कहते है । वह दक्षिण भारतीय है और सिंगापुर का आप्रवासी भारतीय है। उसकी रुचि एस्ट्रोनॉमी में हैं। मीरा और श्री धीरे-धीरे करीब आते हैं और एक दूसरे से अपने सीक्रेट्स शेयर करते हैं। वे दोनों उस रहस्यमय अनुभव से गुजरते हैं जिनसे पहली बार शारीरिक बदलावों के कारण हर इंसान उस किशोरावस्था से जवान होती उम्र में गुजरता है।
मीरा क्लास में हमेशा अव्वल आती रही है। उसकी मां उन दोनों की बढ़ती मित्रता से चिंतित हो जाती है। उसकी मां को उसके पति ने लगभग छोड़ दिया है और उसकी सारी उम्मीदें मीरा पर टिकी हैं। रात में अक्सर श्रीनिवास के फोन कॉल आने लगे तो वह सावधान हो जाती है। उसे डर है कि इस चक्कर में मीरा का रिजल्ट खराब न हो जाए। वह श्रीनिवास से मिलती है और उसे खाने पर घर बुलाती है। उसे लगता है कि श्रीनिवास अपनी उम्र से कुछ ज्यादा ही परिपक्व है। शुरुआती हिचकिचाहट के बाद वह मीरा और श्रीनिवास को घर पर एक साथ पढ़ाई करने की अनुमति दे देती है। वह इस बात का ख्याल रखती है कि दोनों को अनावश्यक एकांत न मिलने पाए। फिर भी किसी न किसी तरह मीरा एकांत तलाश लेती हैं। मीरा श्रीनिवास को घर से दूर पहाड़ों में सेक्शुअल अनुभव हासिल करने के लिए आमंत्रित करती है। दोनों के लिए यह पहला अनुभव है। श्रीनिवास पहले ही अनुभव में असफल हो जाता है।
अब मीरा रिश्तों के एक ऐसे त्रिकोण में फंस गई है जहां एक ओर उसपर नजर रख रही उसकी मां है तो दूसरी ओर अनेक आग्रहों-उम्मीदों को लिए उसका बॉयफ़्रेंड। उसकी मां यह सब समझती है और वह भी श्रीनिवास से दोस्ती कर अपने स्कूली जीवन की यादों में चली जाती है। वह भी अकेली है। यहां से फिल्म मां और बेटी के बहनापे और दोस्ती की अविस्मरणीय दिशा की ओर मुड़ जाती है। तभी स्कूल में एक ऐसी घटना घटती है कि मीरा के होश उड़ जाते हैं।

हेड प्रीफेक्ट के रुप में उसे बहुत मुश्किल आ रही है क्योंकि उसके सहपाठी ईर्ष्यावश उसकी लगातार अवहेलना करते हैं। शिक्षक दिवस के दिन तो सारी हदें पार हो जाती है। मीरा प्रिंसिपल का रोल निभा रही है। तभी छात्रों का एक समूह जिनमें से कुछ की उसने प्रिंसिपल मिसेज बंसल से शिकायत की थी, उसे घेर लेता है। उनसे जैसे तैसे बचकर वह खुद को गर्ल्स हॉस्टल में बंद कर लेती हैं और बचाने के लिए अपनी मां को फोन करती है। अनीला बदहवास सी स्कूल पहुंचती है और मीरा को बचाती है। प्रिंसिपल मिसेज बंसल से शिकायत करने पर उलटा मां-बेटी को ही डांट पड़ती है कि मीरा का रिजल्ट लगातार खराब हो रहा है या फिर उसने श्रीनिवास को अपने घर आने की अनुमति क्यों दी, आदि आदि। मां-बेटी दोनों घर लौटते हैं। श्रीनिवास भी आता है। वह दिल को छूने वाली एक बात बताता है कि स्कूल में कैसे सब लोग मीरा को प्यार से कहते हैं कि उसकी मां अनीला उसके लिए पति से अलग रहकर एकाकी जीवन बिता रही है। सभी अनीला के त्याग और प्यार की बातें करते हैं। मीरा को सहसा अपनी मां की हालत का अहसास होता है। कई नाटकीय घटनाक्रम के बाद मीरा को अहसास होता है कि यह सब बस एक अनुभव मात्र था और जिंदगी आगे बढ़ जाती है। अंतिम दृश्य में हम देखते हैं कि मीरा बड़े प्यार से अपनी मां के बालों में तेल लगा रही है।