एडिटिंग से लेकर ‘एम्पैथी’ तक – टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर का अगस्त चैप्टर

NDFF द्वारा IICS, MESC और SACAC के सहयोग से आयोजित टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर (टीसीओटीएफ) का अगस्त चैप्टर दिल्ली-एनसीआर के फिल्मकारों, सिनेप्रेमियों और विद्यार्थियों के लिए विचारों के आदान-प्रदान का एक जीवंत मंच साबित हुआ। प्रवीण जैन (फिल्म एडिटर और फिल्म एकैडमिशियन) तथा लेखिका-फिल्मकार सोहिनी दासगुप्ता के प्रेरक सत्रों ने जहाँ एडिटिंग की बारीकियों और कहानी कहने में समानुभूति की अहमियत को रेखांकित किया, वहीं एनडीएफएफ के प्रमुख अभियान मेक सिनेमा की झलक ने युवाओं को नए अवसरों की ओर प्रेरित किया। ‘टेक द फ्लोर’ खंड में उभरती प्रतिभाओं ने अपनी रचनात्मकता प्रस्तुत कर आयोजन को और सार्थक बनाया।
“मेरे लिए सिनेमा का अर्थ है समानुभूति — पात्रों की भावनात्मक दुनिया में उतरना और उनकी यात्रा को सच्चाई के साथ सामने लाना,” ये कहना है लेखिका-फिल्मकार सोहिनी दासगुप्ता का, जिन्होंने टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर (टीसीओटीएफ) के अगस्त चैप्टर के आयोजन को और सार्थकता दे दी। न्यू डेल्ही फिल्म फाउंडेशन द्वारा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव स्किल्स, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्किल्स काउंसिल और श्री अरबिंदो सेंटर फॉर आर्ट्स एंड क्रिएटिविटी के सहयोग से आयोजित इस सत्र में फिल्मकारों, सिनेप्रेमियों और विद्यार्थियों ने मिलकर सिनेमा को केवल मनोरंजन नहीं बल्कि संवाद, शिल्प और सृजनशीलता का माध्यम माना।
यह टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर का तीसरा मासिक आयोजन था, जो दिल्ली-एनसीआर में सिनेमा और फिल्ममेकिंग के लिए एक सार्थक और संवेदनशील इकोसिस्टम बनाने की दिशा में एक गैरलाभकारी पहल है।

क्राफ्ट एंड क्रू: फिल्म एडिटिंग की अहमियत
इस सत्र में अतिथि थे प्रवीण जैन, एफटीआईआई पुणे के पूर्व छात्र और फैकल्टी, जो वर्तमान में शारदा विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। 14 वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाले जैन ने फिल्म एडिटिंग के बारे में बुनियादी जानकारी देते हुए बताया कि फिल्मों में शूट किए गए दृश्यों को कहानी के मुताबिक एक सिलसिले में जोड़ने के लिए तकनीकी तौर पर कितने तरीके होते हैं। उन्होने सभी के बारे में समझाया फिर ये भी कहा कि “एडिटिंग महज़ शॉट्स काटने-चिपकाने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि सिनेमा को लय और अर्थ देने की कला है।” उन्होंने शोले, देवदास और चक दे इंडिया जैसी फिल्मों के उदाहरणों से समझाया कि किस तरह संपादन कथानक, भावनाओं और प्रभाव को आकार देता है।
व्यावसायिकता और व्यावहारिकता की बात करते हुए उन्होने एडिटिंग को ‘मोस्ट अंडररेटेड’ और ‘अंडरपेड’ फिर भी ‘मोस्ट इंपॉर्टेंट जॉब’ कहा पुणे के भारतीय फिल्म एंड टेलिविजन संस्थान से लंबे समय तक (बतौर छात्र और फैकल्टी भी) जुड़े रहे प्रवीण जैन ने कैंपस के भी कई दिलचस्प किस्से साझा किए। युवाओं और नए फिल्मकारों को उपयोगी सुझाव देते हुए उन्होने ज्ञान से ज़्यादा अनुशासन पर ज़ोर दिया।

स्पॉटलाइट: जीवन से जन्मी कहानियाँ
स्पॉटलाइट सेगमेंट की मेहमान थीं सोहिनी दासगुप्ता, कोलकाता की जानी-मानी फिल्मकार और लेखिका। उनकी फीचर फिल्म छोटी-मोटी बातें (स्वीट होम), जो डिप्रेशन से जूझ रही दो बहनों की सच्ची कहानी पर आधारित है, जो नोएडा में साल 2011 में घटित हुआ था। इस फिल्म को बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और केरल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सराहा गया था। सोहिनी ने अपने पति, प्रख्यात निर्देशक बुद्धदेब दासगुप्ता के साथ काम करने और उनकी अंतिम फिल्म उड़ो जहाज (द फ्लाइट) की पटकथा लिखने के अनुभव साझा किए। 2020 में बनी बुद्धदेव दासगुप्ता की फिल्म ‘उड़ो जहाज’ (द फ्लाइट) की पटकथा सोहिनी ने ही लिखी थी। उन्होने बताया कि किस तरह बुद्धदेब दा उस समय हफ्ते में 3 दिन डायलिसिस करवाते थे और बाकी दिन आउटडोर शूट करते थे। इस फिल्म की शूटिंग भी कोलकाता के बाहर झारखंड के जंगलों में हुई थी।
सोहिनी ने बुद्धदेब दा के काम को, उनकी फिल्मों और उनकी कार्यशैली को याद करते हुए कहा उन्हे अपना गुरु बताया और कहा कि आज भी जब वो किसी रचनात्मक यात्रा में कहीं अटकती हैं, तो यही सोचती हैं कि बुद्धदेब दा ऐसे में क्या करते… और उन्हे इसका हल मिल जाता है। सोहिनी दासगुप्ता ने युवाओं और नए रचनाकारों को सीख भी दी कि “जीवन में ह्यूमर और इम्पैथी कभी न खोएं।”

मेक सिनेमा अभियान: छोटी फिल्में, बड़े स्वर
एनडीएफएफ के फाउंडर और जनरल सेक्रेटरी आशीष के सिंह ने मेक सिनेमा अभियान की प्रगति पर जानकारी दी। इस पहल के अंतर्गत छह महीनों में छह लघु फिल्में बनाने की योजना है। चुने गए फिल्मकार अपनी स्क्रिप्ट को इंडस्ट्री के अनुभवी स्क्रिप्ट राइटर्स के मार्गदर्शन में अंतिम रूप दे रहे हैं।

कार्यक्रम को होस्ट स्वाती ने किया और अंत में बताया गया कि न्यू डेल्ही फिल्म फाउंडेशन सितंबर-अक्टूबर में स्क्रीनलाइटिंग पर तीन दिनों के एक पेड वर्कशॉप का आयोजन करेगी, जिसका संचालन दो बार के नेशनल अवॉर्ड विजेता अशोक मिश्रा करेंगे। गौरतलब है कि कुछ ही हफ्ते पहले अशोक मिश्रा की लिखी फिल्म ‘कटहल’ को 71वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिए जाने का ऐलान किया गया है। अशोक मिश्र ने श्याम बेनेगल की प्रसिद्ध सीरीज़ भारत एक खोज समेत उनकी कई फिल्मों के लिए लेखन किया है, साथ ही सईद अख्तर मिर्ज़ा की फ़िल्म नसीम का भी लेखन किया था, जिसके लिए उन्हे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था।

आयोजन के अंत में संस्था के ट्रेज़रार हरेंदर कुमार और ब्रांडिंग-मार्केटिंग के एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर वैभव मैत्रेय ने सोहिनी दासगुप्ता और प्रवीण जैन को स्मृतिच्न्ह देकर सम्मानित किया। टीम एनडीएफएफ की ओर से कार्यक्रम का प्रोडक्शन कंट्रोल कृश गुप्ता ने किया, जबकि मीडिया और कोऑर्डिनेशन की जिम्मेदारी सिमरन, प्राशिक मेश्राम, प्रियांशु कुमार, आर्यन और प्रियांशु चंद्रा ने संभाली।

तेज़ी से बढ़ती भागीदारी और संवाद के साथ टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर राजधानी क्षेत्र में रचनात्मक प्रतिभाओं को अवसर देने और अच्छे सिनेमा की संस्कृति बनाने का अहम मंच बनता जा रहा है।