
‘टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर’ का जुलाई चैप्टर दिल्ली-एनसीआर के फिल्म प्रेमियों और रचनात्मक प्रतिभाओं के लिए एक सशक्त मंच बन रहा है। फिल्म निर्देशक भास्कर हजारिका और मेंटर डॉ. सबीहा फरहत के सत्रों से लेकर ‘मेक सिनेमा’ अभियान के नए चरण की घोषणा तक, यह आयोजन काफी दिलचस्प और ऐक्शन ओरिएंटेड रहा। दो घंटे का ये आयोजन सिनेमा पर सार्थक चर्चा, टैलेंट शो केस-पिचिंग और क्रिएटिव प्रोफेशनल्स के लिए कोलैबरेशन की संभावना तलाश करने, मेल-जोल बढ़ाने का एक जीवंत मंच बना।
नई दिल्ली, 19 जुलाई 2025 – स्थानीय कहानियों और नए फिल्म निर्माताओं को मंच देने वाले मासिक आयोजन ‘टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर’ का जुलाई चैप्टर न्यू डेल्ही फिल्म फाउंडेशन (NDFF) द्वारा श्री अरविंदो सेंटर फॉर आर्ट्स एंड क्रिएटिविटी (SACAC) और मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्किल्स काउंसिल (MESC) के सहयोग से Harmony House, SACAC, नई दिल्ली में आयोजित किया गया। आयोजन में दिल्ली-एनसीआर के फिल्म प्रेमियों, फिल्मकारों, कलाकारों, लेखकों और छात्रों की उल्लेखनीय भागीदारी रही।

स्पॉटलाइट सेगमेंट: भास्कर हजारिका की बेबाक बातें
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और असमिया सिनेमा में अपनी अलग पहचान बना चुके निर्देशक भास्कर हजारिका ने ‘स्पॉटलाइट’ सत्र में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने ‘कोथानोडी’, ‘आमिस’ और ‘एमुथी पुथी’ जैसी फिल्मों के माध्यम से कैसे मुख्यधारा से अलग हटकर सिनेमा रचा, यह बताया।
उन्होंने कहा, “क्षेत्रीय कहानियों को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाना एक चुनौती है। भाषा, संस्कृति और बजट की सीमाओं के बावजूद गुणवत्ता बनाए रखना और संवेदनशीलता से कहानी कहना ही असली कला है।” उन्होंने यह भी साझा किया कि डिजिटल माध्यमों और AI जैसे उपकरणों के दौर में सच्ची कहानियों की अहमियत और भी बढ़ गई है।

क्राफ्ट एंड क्रू: कहानी से पटकथा तक की यात्रा
इस सत्र की दूसरी खास पेशकश रही डॉ. सबीहा फरहत का व्यावहारिक सत्र, जिसमें उन्होंने बताया कि एक विचार को पटकथा में कैसे बदला जाए। डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण और फिल्म शिक्षण में अनुभव रखने वाली डॉ. फरहत ने कहा कि “हर कहानी के पीछे एक अनुभव होता है, और सही संरचना से उसे दर्शकों से जोड़ना संभव होता है।”
उन्होंने क्लासिक और समकालीन फिल्मों के उदाहरणों से कहानी कहने की तकनीक को सरल भाषा में समझाया। यह सत्र विशेष रूप से लेखन और निर्देशन में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए बेहद उपयोगी रहा।

पटकथा में Suspension of Disbelief
कहानी को स्क्रीनप्ले में बदलने की प्रक्रिया और इसकी यात्रा बताते हुए डॉ सबीहा फ़रहत ने Suspension of Disbelief का खास ज़िक्र किया। अंग्रेज़ी साहित्य से निकला ये टर्म दरअसल किसी पाठक या दर्शक की उस मनोभावना को व्यक्त करता है, जिसके तहत वो पढ़ी जा रही या पर्दे पर देखी जा रही कहानी में इतना डूब जाता है कि वहां लिखी-दिखाई गई बातों पर वो सहज ही यक़ीन कर लेता है… अपनी तार्किकता को पूरी तरह दरकिनार करते हुए। डॉ सबीहा ने इस बात पर जोर दिया कि पटकथा लेखकों के लिए Suspension of Disbelief (अविश्वास को दरकिनार करना) की समझ बेहद ज़रूरी है, क्योंकि यही तत्व कहानी की विश्वसनीयता और दर्शकों के इनवॉल्वमेंट को प्रभावित करता है। लेखक को ऐसे संवाद और घटनाएं गढ़नी होती हैं जो भावनात्मक रूप से सच्ची लगें, चाहे कहानी किसी कल्पनाशील या अवास्तविक दुनिया में ही क्यों न हो। यह लेखक की ज़िम्मेदारी होती है कि वह दर्शकों को यह भूलने पर मजबूर कर दे कि वे केवल अभिनेता को संवाद बोलते हुए देख रहे हैं। पटकथा लेखक को चरित्र की सोच और व्यवहार को इस तरह बुनना होता है कि दर्शक उसके साथ भावनात्मक रूप से जुड़ जाएं।
मेक सिनेमा: ‘शॉर्ट फिल्में, बड़ी बातों’ का अगला चरण

NDFF के संस्थापक आशीष के सिंह ने मेक सिनेमा अभियान के अगले चरण की औपचारिक घोषणा की। ‘Small Films, Big Voices’ टैगलाइन के तहत इस अभियान के अंतर्गत अगले छह महीनों में छह लघु फिल्में बनाई जाएंगी जो यथार्थपरक और सामाजिक दृष्टिकोण से प्रासंगिक विषयों पर आधारित होंगी।
उन्होंने बताया कि “यह अभियान उन कहानियों और प्रतिभाओं को सामने लाने का माध्यम बनेगा जो अब तक मंच की तलाश में थीं।” कॉल फॉर एंट्रीज़ की अंतिम तिथि 5 अगस्त तय की गई है और TCOTF में भाग लेने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी।
टेक द फ्लोर: नए विचारों, नए प्रोजेक्ट, नए टैलेंट का मंच

‘Take The Floor: The 5-Minute Window’ TCOTF की एक अनूठी पहल है, जहाँ प्रतिभागियों को मंच से अपने विचार, प्रोजेक्ट या ‘टैलेंट शोकेस’ करने का अवसर दिया जाता है। इस बार की प्रस्तुति में शामिल थीं:
- अन्नू रावल – अन्नू रावल प्रतिष्ठित कत्थक नर्तकी और कोरियोग्राफ़र हैं। फ़िरोज़ अब्बास खान की मशहूर प्रस्तुति ‘मुग़ल-ए-आज़म द म्यूज़िकल’ के साथ उन्होने कई देशों की यात्रा की है और वहां परफॉर्म किया है। ‘द 5 मिनट विंडो’ में उन्होंने मीरा बाई पर आधारित डांस-ड्रामा प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया
- तन्वी त्रिपाठी – मास कम्यूनिकेशन की उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही तन्वी ने एक शॉर्ट फिल्म आइडिया पिच किया।
- निवृत्ति खत्री – निवृत्ति मास कम्यूनिकेशन की छात्रा हैं और लिखना पसंद करती हैं। इन्होंने अपनी मूल कविताएं और गीत प्रस्तुत किए।
इस पहल को दर्शकों और प्रतिभागियों से शानदार रिस्पॉन्स मिला।
क्रिएटिविटी और सहयोग की ‘चाय पर चर्चा‘


कार्यक्रम के अंत में ‘Chit-Chat over Tea & Light Bites’ के ज़रिए सभी मेहमानों और प्रतिभागियों को आपसी संवाद और नेटवर्किंग का अवसर मिला। SACAC की फाउंडिंग डायरेक्टर सुश्री दलजीत वाधवा ने NDFF के साथ ऐसी रचनात्मक साझेदारी को भविष्य में भी जारी रखने की बात कही। NDFF के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (ब्रांडिंग और मार्केटिंग) वैभव मैत्रेय ने इस पहल के आत्मनिर्भर पहलू की जानकारी दी और ट्रेज़रर श्री हरिंदर कुमार ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम की एंकरिंग वेदिका राज और प्रियांशु कुमार ने की, जबकि प्रोडक्शन और कोऑर्डिनेशन देवेश मांझी, कृश गुप्ता और प्राशिक मेश्राम के ज़िम्मे रहा।
लगातार बढ़ती भागीदारी, क्रिएटिव डिस्कशन और मीडिया में बढ़ते स्पेस की बदौलत ‘टॉक सिनेमा ऑन द फ़्लोर’ दिल्ली एनसीआर में एक क्रिएटिव मूवमेंट के तौर पर स्थापित हो रहा है जो स्टोरीटेलिंग के जुनून और इसको पसंद करने वालों अपने टैलेंट के बूते अलग-अलग रोल में इससे प्रोफेशनली जुड़े लोगों के बीच की जगह को भरने का काम कर रहा है। इसके साथ ही यह फिल्ममेकिंग से जुड़े लेखकों, फिल्मकारों और कलाकारों के प्रोफेशनल ग्रोथ के लिए भी कमिटेड है।
NDFF अब अगस्त चैप्टर की तैयारी में जुट गया है, जिसकी तारीख की घोषणा जल्द ही की जाएगी। हमारे सोशल मीडिया अकाउंट से जुड़े रहें।

Media Coverage of ‘Talk Cinema On The Floor’ July Chapter
The Interview Times.com | https://theinterviewtimes.com/cinema-beyond-the-mainstream/ |

