द फादर: उम्र, अकेलेपन और विस्मृति से जूझते पिता की कहानी
फ्रांस के उपन्यासकार, नाटककार, थिएटर डायरेक्टर, पटकथा-लेखक और फिल्मकारफ्लोरियन ज़ेलरकी फिल्म ‘द फादर‘ को इसकी विषयवस्तु और ट्रीटमेंट के लिए बेहद सराहा गया और 2021 में इसे दो ऑस्कर से सम्मानित किया गया… एक इसके मुख्य अभिनेताएंथनी हॉपकिंसको अभिनय के लिए, दूसरा बेस्ट एडाप्टेड स्क्रीनप्ले के लिए। इस प्लैटफॉर्म पर हमने इस फिल्म की अंग्रेज़ी समीक्षा भी प्रकाशित की थी, जब इसे ऑस्कर में सम्मानित किया गया था। फिल्म हाल ही में ओटीटी प्लैटफॉर्म पर रिलीज़ हुई है, जिससे भारतीय दर्शकों के बड़े वर्ग के लिए इसे सबटाइटल्स के साथ देखना आसान हो गया है। पेश है इसकी हिंदी समीक्षा वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म समीक्षकअमिताभ श्रीवास्तवकी कलम से। अमिताभ श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजतक, इंडिया टीवी जैसे न्यूज़ चैनलों से बतौर वरिष्ठ कार्यकारी संपादक जुड़े रहे हैं। फिल्मों के गहरे जानकार और फिल्म समीक्षक के तौर पर ख्यात हैं।
समाज और परिवार के बदलते ढाँचों और प्राथमिकताओं के बीच अकेले पड़ गये बुज़ुर्गों की देखभाल पूरी दुनिया में इस समय बहुत संवेदनशील मसला है। उम्र की दिक़्क़तों में अगर डिमेंशिया जैसा लाइलाज मानसिक रोग भी जुड़ जाए तो कठिनाई और बढ़ जाती है। ऑस्कर से सम्मानित फिल्म द फ़ादर इस विषय को असाधारण मार्मिकता से अभिव्यक्त करती है। इस फ़िल्म के केंद्रीय चरित्र के अभिनय के लिए एंथनी हाॅपकिंस को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर सम्मान मिला है। 83 साल के एंथनी हाॅपकिंस यह सम्मान पाने वाले सबसे बुज़ुर्ग सक्रिय अभिनेता हैं। फ़िल्म में उनके किरदार का नाम भी एंथनी ही है। लाजवाब काम किया है उन्होंने। साइलेंस आफ द लैंब्स में सिहरन पैदा करने वाली एंथनी हाॅपकिंस की आँखें यहाँ करुणा, असमंजस, उदासी, अकेलापन , झुँझलाहट , क्रोध, अजनबियत के भाव दर्शाती हैं।
द फ़ादर डिमेंशिया के मरीज़ एंथनी और उनकी बेटी एन के रिश्ते की कहानी है जो विदेशी पृष्ठभूमि की होते हुए भी अपनी सी लगेगी अगर आपके परिवार में बुज़ुर्ग हैं या हाल तक थे या आपकी अपनी उम्र बढ़ रही है । एंथनी के किरदार में आपको किसी परिचित बुज़ुर्ग की झलक दिखाई दे यह बहुत मुमकिन है।
फ़िल्म शुरू होते ही एक महिला स्क्रीन पर तेज़ तेज़ क़दमों से चलती हुई दिखाई देती है । लंदन के एक शानदार बड़े से अपार्टमेंट में रह रहे अपने बुज़ुर्ग पिता एंथनी से मिलने जा रही एन की चाल-ढाल में बेचैनी की वजह जल्द समझ में आ जाती है। एंथनी की देखभाल के लिए रखी गई सेविका एंजेला उनकी बदमिज़ाजी की वजह से काम छोड़ गई है। एंथनी को शक है वह चोरी करती थी और उसने उनकी घड़ी चुरा ली है। घड़ी हालाँकि घर में ही मिल जाती है।
शुरुआती दृश्यों में ही एंथनी हाॅपकिंस और उनकी बेटी का किरदार निभा रही अभिनेत्री ओलिविया कोलमैन की बातचीत कहानी की पेचीदगियों का संकेत दे देती है। बेटी बताती है वह पेरिस जा रही है। पिता कहता है मेरा क्या होगा। बेटी एक केयरटेकर को लेकर आती है जिसमें पिता को अपनी छोटी बेटी की झलक दिखती है जिसका देहांत हो चुका है।
निर्देशक ने एंथनी की दिमाग़ी उलझन, गुम होती याददाश्त , अकेलापन दिखाने के लिए जो तरकीबें इस्तेमाल की हैं, वे बहुत दिलचस्प हैं। पूरी फिल्म एक फ़्लैट के भीतर ही चलती है, कुछेक दृश्यों को छोड़कर। कुछ संवाद दोहराये जाते हैं एक ही किरदार के अलग-अलग चेहरों के साथ और फ़्लैट की साजसज्जा बदल जाती है। गुम होती याददाश्त के साथ लोगों को पहचानने की ताक़त भी कमज़ोर पड़ती जाती है। एंथनी की बेटी के दो चेहरे दिखते हैं। उसके पति के भी । हाथ से फिसलते जा रहे समय का प्रतीक है कलाई घड़ी जो खोती-मिलती रहती है।
बेटी पिता से प्यार करती है, उनकी देखभाल को लेकर परेशान है, ख़ामोशी से, अपमान सहते हुए उसे पिता का गुस्सा झेलना पड़ता है । ग़ुस्सैल पिता बेटी पर फ़्लैट पर क़ब्ज़े की नीयत का आरोप लगा देता है। कहता है- मैं तुमसे ज़्यादा जियूँगा। बेटी रोती है। उसके आँसू पोंछने वाला कोई नहीं है। उसका अकेलापन बाँटने वाले भी कोई नहीं। ओलिविया कोलमैन ने बहुत अच्छा काम किया है। फ़िल्म के अंतिम दृश्य में अपनी माँ को याद करके बच्चे की तरह बिलखते हुए एंथनी हाॅपकिंस का अभिनय भावुक कर देता है।
द फ़ादर अब ओटीटी प्लेटफ़ार्म पर उपलब्ध है। लायंसगेट प्ले पर देखी जा सकती है। अच्छे सिनेमा का शौक़ है तो ज़रूर देखें।