इजिप्ट डायरी 5: संकटग्रस्त सूडान से एक अच्छी खबर… ‘गुड बाय जूलिया’

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सऊदी अरब के जेद्दा में रेड सी फिल्म फेस्टिवल के ठीक बाद रेड सी के ही दूसरे छोर पर और दूसरे देश मिस्र (इजिप्ट) के अल गूना में छठां अल गूना इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का आयोजन हुआ। अल गूना फेस्टिवल ने हाल के सालों में अरब वर्ल्ड की फिल्मों को देखने-जानने के एक बड़े और सार्थक मंच के तौर पर जो विश्वसनीयता हासिल की है वो काबिलेगौर है। जेद्दा के रेड सी फिल्म फेस्टिवल के बाद जाने माने फिल्म समीक्षक और लेखक अजित राय विशेष आमंत्रण पर अब इस फेस्टिवल में शामिल होने पहुंचे हैं जो 14 से 21 दिसंबर तक आयोजित हो रहा है। पिछले साल भी उन्होने यहां से भेजी रिपोर्ट में अरब जगत के कुछ बेहतरीन सिनेमा की जानकारी दी थी। प्रस्तुत है वहां से भेजी उनकी रिपोर्ट की श्रृंखला की पांचवीं कड़ी।

उत्तरी अफ्रीकी देश सूडान के मोहम्मद कोरदोफानी की फिल्म ‘गुडबाय जूलिया’ को छठे अल गूना फिल्म फेस्टिवल (इजिप्ट) में द सिनेमा फॉर ह्यूमनिटी ऑडिएंस अवॉर्ड से नवाजा गया है। इसी साल 20 मई 2023 को 76 वें कान फिल्म समारोह के अनसर्टेन रिगार्ड खंड में इस फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर हुआ था। दुनिया भर के फिल्म समीक्षकों की सराहना के साथ ही इजिप्ट, फ्रांस और अरब देशों के सिनेमाघरों में बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने जबरदस्त सफलता हासिल की है। अब यह फिल्म 96 वें अकादमी पुरस्कार ऑस्कर के लिए सूडान से आधिकारिक प्रविष्टि बन गई है।

इस फिल्म के निर्माण में दुनिया भर की अरब फंडिंग एजंसियों ने सहयोग दिया है। मिस दक्षिण सूडान रही आज की मशहूर फैशन मॉडल सिरान रियाक ने जूलिया की मुख्य भूमिका निभाई है। दूसरी मुख्य भूमिका सूडान की मशहूर गायिका एइमान यूसुफ ने की है। दोनों के लिए किसी फिल्म में काम करने का यह पहला अनुभव है।

दरअसल ओमर अल बशीर की तीस साल की सैनिक तानाशाही  (1989-2019) में सूडान में तीन चार लाख नागरिकों को मार डाला गया था। बाद में 2019 में ओमर अल बशीर को मुजरिम ठहराते हुए जेल हुई। 1983-2000 तक सूडान इस्लामिक स्टेट रहा। उसके बाद इसे सेक्युलर घोषित किया गया। इसी साल 15 अप्रैल 2023 से अब्दुल फतेह अल बरहान की सूडानी सशस्त्र सेना और मोहम्मद हमदान दागालो के अर्धसैनिक बलों के बीच अभी भी लड़ाई जारी है और करीब पचास लाख सूडानी नागरिक भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।

Director Mohamed Kordofani

फिल्म के निर्देशक मोहम्मद कोरदोफानी उत्तरी सूडानी अरब है जिन्हें इस बात का अफसोस है कि अरबों ने बहुत नस्लवादी अत्याचार किए हैं जिस कारण सूडान का विभाजन हुआ। उनका कहना है कि यह फिल्म प्रायश्चित का एक छोटा सा प्रयास है। वे स्वीकार करते हैं कि इस फिल्म के सूडान में प्रदर्शन के बाद उन पर अरब लोगों की छवि बिगाड़ने का आरोप लगाकर उनका विरोध किया जाएगा और उन्हें भारी प्रताड़ना और उत्पीड़न झेलना होगा।

     सूडान की राजधानी खारतौम की दलित बस्ती से गुजरते हुए अचानक एक अमीर अरब महिला मोना (एइमान यूसुफ) की कार के नीचे एक बच्चा डेनियल आ जाता है। डेनियल एक दक्षिणी सूडानी इसाई महिला जूलिया का इकलौता बच्चा हैं। बच्चे का पिता मोटरसाइकिल से मोना का पीछा करता हुआ उसके घर तक पहुंच जाता है। मोना का पति अकरम हड़बड़ी में अपनी बंदूक से उसे गोली मार देता है। एक मार्मिक दृश्य में जूलिया अपने पति का अंतिम दर्शन करने चर्च पहुंचती हैं। वहां एक लाइन से ताबूतों में मृतकों की लाशें पड़ी है। ईसाई कमांडर उन लाशों पर राजनीति प्रेरित भाषण दे रहा है। जूलिया जैसे ही एक ताबूत में कफन हटाकर अपने पति का चेहरा देखने की कोशिश करती है, लोग उसे पकड़कर दूर कर देते हैं। शायद सूडानी रिवाज में औरतों को अपने मृत पति का चेहरा देखने की इजाजत नहीं है।

            मोना जीवनभर इस अपराध बोध से जूझती रहती है कि उसकी लापरवाही के कारण जूलिया का परिवार अनाथ हो गया। मोना एक मशहूर गायिका थी जिसे अमीर अकरम से शादी करने की शर्त में गायन छोड़ना पड़ा था। उस समय वह तारिक नामक एक प्रगतिशील सुंदर युवक से प्रेम करती थी। फिल्म एक उत्तरी सूडानी अमीर अरब मोना और दक्षिणी सूडानी गरीब ईसाई विधवा जूलिया के अप्रतिम बहनापे की विलक्षण कहानी है जो सूडान में नस्ली हिंसा की राजनीति की पृष्ठभूमि में चलती है।

        मोना अपने पति अकरम से छुपकर थाने जाती है और एक सिपाही को रिश्वत देकर जूलिया का पता हासिल करती हैं। अरब लोगों की ऊंची पहुंच के बल पर अकरम हत्या के इल्ज़ाम से आसानी से बरी हो जाता है। मोना जूलिया और उसके बच्चे से मिलने उसके घर जाती हैं। उसे पता चलता है कि जूलिया का घर छिन गया है और वह किसी तरह मजदूरी करके डेनियल को पाल पोस रही है। मोना अपने अपराध बोध से मुक्ति के लिए अकरम से बिना बताए जूलिया और उसके बच्चे को घर लाती है और नौकरानी का काम देती है। यहां से फिल्म दो अलग-अलग औरतों की संवेदनशील आत्मीय बहनापे में आगे बढ़ती है। यह 2010 का वहीं समय था जब उत्तरी सूडान के अरबों और दक्षिणी सूडान के ईसाईयों में गृहयुद्ध चरम पर था और  जनवरी 2011 में हुए जनमत संग्रह के बाद दक्षिणी सूडान आजाद देश बन गया।

जूलिया का बच्चा अब बड़ा हो गया है और स्कूल जाने लगा है जहां उसे रोज नस्ली प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है। अमीर अरब बच्चे उसे एक तरह से अछूत समझते हैं। डेनियल को पता चलता है कि जिस घर में वह अपनी मां के साथ शरणार्थी हैं उसका मालिक अकरम ही उसके पिता का हत्यारा है। एक दूसरे अरब दुकानदार के पास वह अपने पिता की छीनी हुई मोटरसाइकिल देखता है। उसी समय सूडान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के गुरिल्ले चर्च में दक्षिणी सूडान के लोगों को अरबों से आजादी के लिए एकजुट कर रहें हैं। उनका कमांडर जूलिया पर तरह तरह से दबाव बनाता है कि वह अरबों का साथ छोड़ इस लड़ाई में शामिल हो जाए। एक दिन डेनियल अपनी मां जूलिया से बिना बताए चर्च जाकर कमांडर से अपने पिता की हत्या का बदला लेने को कहता है। आधी रात को कमांडर और उसके गुरिल्ले अकरम के घर पर छापा मारते हैं। जूलिया उनसे कहती हैं कि वे एक दुर्घटना को राजनैतिक रंग न दें। अकरम जूलिया और कमांडर से बिना शर्त माफी मांगकर अपनी जान बचाता है। जाहिर है इस घटना के बाद जूलिया को मोना का घर छोड़ना पड़ता है।
अब सूडान का बंटवारा हो चुका है। हम जूलिया और डेनियल को कमांडर के साथ पहले मोटरबोट में फिर आर्मी ट्रक में दक्षिणी सूडान की ओर जाते हुए देखते हैं। इधर मोना भी अपने पति से आजाद होकर एक क्लब में फिर से आजादी के गीत गाती हुई दिखती है।

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