सिनेमा एक खूबसूरत कविता की तरह: 29वां कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव

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कलकत्ता के वरिष्ठ पत्रकार जयनारायण प्रसाद इंडियन एक्सप्रेस समूह के अखबार जनसत्ता कलकत्ता में 28 सालों तक काम करने के बाद रिटायर होकर कलकत्ता में ही रहते हैं। हिंदी में एम ए जयनारायण प्रसाद ने सिनेमा पर व्यापक रुप से गंभीर और तथ्यपरक लेखन किया है। गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी, गायक मन्ना डे, फिल्मकार श्याम बेनेगल, अभिनेता शम्मी कपूर से लेकर अमोल पालेकर, नसीरुद्दीन शाह और शबाना आज़मी तक से बातचीत। जय नारायण प्रसाद ने जाने माने फिल्मकार गौतम घोष की राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त बांग्ला फिल्म ‘शंखचिल’ में अभिनय भी किया है।

किसी भी अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में उस देश की फिल्म के साथ-साथ उस देश की भाषा, उसकी संस्कृति, वहां की प्रकृति,‌ वहां का खान-पान और ‌उत्सव वगैरह भी दिखता है। इस मामले में कोलकाता में 6 से 12 दिसंबर, 2023 तक चले 29वां कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल कई मायनों में अनूठा था। इस फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन 5 दिसंबर को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हाथों हुआ था, जिसमें अभिनेता सलमान खान, अनिल कपूर, निर्देशक महेश भट्ट से लेकर शत्रुघ्न सिन्हा, उनकी बेटी सोनाक्षी सिन्हा और निर्देशक तिग्मांशु धुलिया व देसी-विदेशी अनेक मेहमान मौजूद थे।

इजराइल की फिल्म को मिला बेस्ट फिल्म का पुरस्कार

लगभग आठ दिनों तक चले 29वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में इस बार इजराइल की फिल्म ‘चिल्ड्रेन ऑफ नो बडी’ को बेस्ट फिल्म का पुरस्कार मिला। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में ‘इनोवेशन इन मूविंग इमेजेज’ श्रेणी के तहत इजराइल की इस फिल्म को 51 लाख रुपए का ‘रॉयल बंगाल टाइगर’ सम्मान मिला। इरेज टेडमोर के निर्देशन में बनीं 108 मिनट की यह फिल्म ऐसे अनाथ बच्चों की कहानी सुनाती है, जो तेल-अवीव में रहता है और जिन बच्चों का लालन-पालन एक बुजुर्ग महिला की करती है। एक दिन वह बुजुर्ग महिला गुजर जाती है। उसके बाद उन बच्चों पर क्या गुजरात है उसकी कहानी सुनाती है ‘चिल्ड्रेन ऑफ नो बडी’ ! बहुत प्यारी फिल्म थीं इजराइल की यह ! दर्शकों ने मुग्ध होकर देखी थीं इस हिब्रू भाषा की फिल्म को। लगता था किसी बड़े-से पर्दे पर फिल्म नहीं, कोई बेहतरीन कविता पढ़ रहा हूं।

सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार ग्रहण करते हुए इजराइल की फिल्म ‘चिल्ड्रेन ऑफ नो बडी’

बेस्ट डायरेक्टर का पुरस्कार मिला वेनेजुएला की फिल्म को

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के तहत इसी श्रेणी में वेनेजुएला की फिल्म ‘हॉफ वे’ को मिला बेस्ट डायरेक्टर का पुरस्कार। कार्लोस डेनियल मलावे के निर्देशन में बनीं स्पेनिश भाषा की यह फिल्म 93 मिनट की थीं और एक युवा महिला शिक्षिका की माली हालत की कहानी सुनाती है। होता यह है कि उस महिला शिक्षिका का एक बेटा है, जो किसी दुर्घटना से अभी-अभी निकल कर आया है। अपने दुर्घटनाग्रस्त बेटे के साथ वह शिक्षिका गुजर-बसर करती है, लेकिन आर्थिक संकट उस महिला का पीछा नहीं छोड़ती। पूरी कहानी मां-बेटे के इर्द-गिर्द घूमती है और आर्थिक दिक्कतें क्या होती हैं, यह वेनेजुएला की यह फिल्म बताती है।

स्पेशल जूरी का पुरस्कार मिला अंजन दत्त की बांग्ला फिल्म को

स्पेशल जूरी का पुरस्कार ग्रहण करते हुए अभिनेता/फिल्मकार अंजन दत्त

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता खंड में   ‘इनोवेशन इन मूविंग इमेजेज’ श्रेणी के तहत अभिनेता/गायक अंजन दत्त निर्देशित बांग्ला फिल्म ‘चालचित्र एखन’ को स्पेशल जूरी का पुरस्कार मिला। यह फिल्म मशहूर फिल्मकार मृणाल सेन की जिंदगी की कहानी सुनाती है। मुख्य भूमिका में हैं अंजन दत्त, जो इस बांग्ला फिल्म के निर्देशक भी है। बहुत प्यारी फिल्म थीं ‘चालचित्र एखन’। लगा – यह फिल्म नहीं, यह कोई कविता है!

कोलकाता के 23 प्रेक्षागृहों में दिखाई गईं 219 फिल्में

6 से 12 दिसंबर, 2023 तक चले कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में 39 देशों की कुल 219 फिल्में दिखाई गईं। ये फिल्में कोलकाता के 23 प्रेक्षागृहों में दिखाई गईं।

5 दिसंबर की शाम को इस अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव का उद्घाटन हुआ था, जिसमें अभिनेता सलमान खान और अनिल कपूर ने बॉलीवुड के बनने में ‘बांग्लाभाषी फिल्मकारों के योगदान’ को शिद्दत से याद किया। निर्देशक विमल राय, हृषीकेश मुखर्जी, संगीतकार सलिल चौधरी और सचिन देव बर्मन ने कैसे और कितनी मेहनत से बॉलीवुड को तैयार किया, सलमान खान, अनिल कपूर और महेश भट्ट ने पूरी कहानी सुनाई।

अनिल कपूर ने सुनाया कलकत्ता में अपने संघर्ष का किस्सा!

मीडिया से बातचीत करते अनुराग कश्यप

अभिनेता अनिल कपूर ने इस अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव के उद्घाटन समारोह में अपने संघर्ष के किस्से सुनाए। अनिल कपूर ने कहा – यह कलकत्ता है, जिसने उसे संघर्ष करना सिखाया। अनिल कपूर ने सुनाया – उनकी पहली फिल्म ‘कहां-कहां से गुजर गया’ इसी कलकत्ता में बनीं थीं। एमएस सथ्यू के निर्देशन में बनीं यह फिल्म अनिल कपूर की पहली और लाजवाब फिल्म थीं।

अनुराग कश्यप की फिल्म ‘केनेडी’ को देखने के लिए उमड़ पड़े थे दर्शक

इस 29वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में मशहूर बॉलीवुड फिल्मकार अनुराग कश्यप की ताज़ा फिल्म ‘केनेडी’ भी दिखाई गई। अनुराग कश्यप और उनके इस फिल्म के मुख्य अभिनेता राहुल भट्ट भी शो के दौरान उपस्थित रहे। गैंगवॉर पर बनीं यह फिल्म किसी हॉलीवुड फिल्म की याद दिलाती है। अनुराग कश्यप ‌ने मीडिया को संबोधित भी किया और सेंसरशिप को खत्म करने का सवाल उठाया। अनुराग कश्यप ‌ने मांग की कि यह दर्शकों को तय करने दीजिए कि फिल्म अच्छी है या बरी!

मनोज वाजपेयी, सौरभ शुक्ला और सुधीर मिश्रा भी आए थे इस अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में

अभिनेता मनोज वाजपेयी, अभिनेता/पटकथा लेखक सौरभ शुक्ला और निर्देशक सुधीर मिश्रा ने भी इस कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में अपनी बातें रखीं। ये तीनों अभिनय और निर्देशन पर बोलने आए थे। तीनों को सुनने के लिए भारी भीड़ थीं कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में।

कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में अभिनेता मनोज वाजपेयी

प्रणब आइच की ओड़िया फिल्म ने भी दर्शकों का ध्यान खींचा

ओड़िया सिनेमा के दक्ष युवा निर्देशक प्रणब आइच की फीचर/डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘नंदा स्कूल ऑफ ट्रेडिशन’ ने भी 29वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दर्शकों का ध्यान खींचा। प्रणब आइच की 133 मिनट की यह मूवी एक छत विहीन स्कूल की कहानी सुनाती है, जो तीन पीढ़ियों से चला आ रहा है। प्रणब आइच अपनी फिल्म का संपादन भी खुद करते हैं। प्रणब आइच ने कई लघु फिल्में भी बनाई हैं ‌और सोनी वर्ल्ड फोटोग्राफी अवार्ड्स कॉन-2009 में उन्हें पुरस्कृत भी किया जा चुका है।

मृणाल सेन, देवानंद और शैलेन्द्र की ‘तीसरी कसम’ भी थीं इस अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में

‘श्रद्धांजलि शतवर्ष खंड’ के तहत इस 29वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में  फिल्मकार मृणाल सेन, अभिनेता देवानंद और गीतकार शैलेन्द्र तथा गायक मुकेश को भी याद किया गया। मृणाल सेन की फिल्म ‘भुवन सोम’ और स्मिता पाटिल अभिनीत बांग्ला फिल्म ‘आकालेर संधाने’ को दुबारा देखना दिलचस्प लगा। अभिनेता देवानंद की फिल्म ‘बाजी’ (1951), ‘सीआईडी’ (1958) और ‘गाइड’ (1965) को भी दर्शकों ने चाव से देखा।

गीतकार/निर्माता शैलेंद्र की फिल्म ‘तीसरी कसम’ (1966) भी दर्शकों को अच्छी लगीं। इस फिल्म में गायक मुकेश के गाए कई बेहतरीन गीत हैं, जिनके लिए भी ‘तीसरी कसम’ सदाबहार फिल्म मानी जाती है।

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