इजिप्ट डायरी-1: अनुराग कश्यप जीनियस डायरेक्टर, ऐक्टर को बिना सिखाए सब कुछ सिखा देते हैं- राहुल भट्ट

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सऊदी अरब के जेद्दा में रेड सी फिल्म फेस्टिवल के बाद रेड सी के ही दूसरे छोर पर और दूसरे देश मिस्र (इजिप्ट) के अल गूना में छठां अल गूना इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल शुरु हो चुका है। अल गूना फेस्टिवल ने हाल के सालों में अरब वर्ल्ड की फिल्मों को देखने-जानने के एक बड़े और सार्थक मंच के तौर पर जो विश्वसनीयता हासिल की है वो काबिलेगौर है। जेद्दा के रेड सी फिल्म फेस्टिवल के बाद जाने माने फिल्म समीक्षक और लेखक अजित राय विशेष आमंत्रण पर अब इस फेस्टिवल में शामिल होने पहुंचे हैं जो 14 से 21 दिसंबर तक हो रहा है। पिछले साल भी उन्होने यहां से भेजी रिपोर्ट में अरब जगत के कुछ बेहतरीन सिनेमा की जानकारी दी थी। प्रस्तुत है वहां से भेजी उनकी रिपोर्ट की श्रृंखला की पहली कड़ी।

भारतीय अभिनेता राहुल भट्ट ने कहा है कि अनुराग कश्यप एक जीनियस फिल्म डायरेक्टर हैं जो अपने अभिनेताओं को बिना सिखाए हीं सबकुछ सिखा देते हैं। मेरी खुशकिस्मती है कि मुझे उनके जैसा गुरु मिला। वे सचमुच एक मास्टर डायरेक्टर हैं और अपनी तरह के अकेले फिल्मकार हैं। राहुल भट्ट इजिप्ट के अल गूना में आयोजित छठें अल गूना फिल्म फेस्टिवल में अपनी फिल्म ‘केनेडी’ के प्रदर्शन के लिए आए हुए हैं। यहां उनके अभिनय की खूब तारीफ हो रही है।

उन्होंने एक खास बातचीत में कहा कि वैसे तो वे 1998 से ही सिनेमा और टेलीविजन में सक्रिय है लेकिन सच्चे अर्थों में अनुराग कश्यप ने हीं उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अपनी फिल्म ‘अगली’ ( 2013) में ब्रेक दिया। इस फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर 67 वें कान फिल्म समारोह (2013) के डायरेक्टर्स फोर्टनाइट में हुआ जहां उन्हें बेहिसाब लोकप्रियता मिली। इस फिल्म में उन्होंने एक स्ट्रगलर ऐक्टर का रोल निभाया है जिसकी बेटी का अपहरण हो जाता है। बाद में अनुराग कश्यप ने ‘अपनी थ्रिलर फिल्म ‘दोबारा’ ( 2022) में मुझे तापसी पन्नू के साथ लीड रोल में कास्ट किया।  उन्होंने कहा कि ‘केनेडी’ उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई है जिसका वर्ल्ड प्रीमियर इस साल 76 वें कान फिल्म फेस्टिवल की मिडनाइट स्क्रीनिंग में ग्रैंड थियेटर लूमिए में हुआ था और साढ़े तीन हजार दर्शक दस मिनट तक खड़े होकर ताली बजाते रहे। दरअसल 1994 के बाद केनेडी पहली भारतीय फिल्म थी जो कान फिल्म फेस्टिवल के मुख्य सभागार ग्रैंड थियेटर लूमिए में दिखाई गई थी। इस समय केनेडी भारत की अकेली ऐसी फिल्म बन गई है जिसे दुनिया के हर हिस्से में कहीं न कहीं दिखाया जा रहा है और दर्शक इसे पसंद कर रहे हैं।

Ajit Rai with Rahul Bhatt at El Gouna Film Festival

            राहुल भट्ट ने कहा कि उन्होंने ‘केनेडी’ में अभिनय के लिए नौ महीने तक दिन रात कठिन तैयारी की थी। एक सीन में उन्हें इस तरह सेब छीलना है कि एक भी छिलका टूटकर गिरे नहीं। इसके लिए उन्होंने चाकू से करीब पांच सौ बार सेब छिलने की प्रैक्टिस की। इसी तरह एक सीन में आंखों पर पट्टी बांध कर गन को खोलने और बंद करने की उन्होंने कई महीने प्रैक्टिस की। उन्होंने इस किरदार के लिए अपनी आवाज बदली और वजन बढ़ाया। राहुल भट्ट ने कहा कि केनेडी का चरित्र उनके भीतर समा गया था और फिल्म पूरी होने के कई महीनों बाद तक वे इससे उबर नहीं पाए थे। वे कहते हैं कि इस चरित्र को निभाते हुए मैं कई बार डिप्रेशन में चला जाता था क्योंकि फिल्म में मेरा चरित्र जिस तरह निर्मम हत्याएं करता है मैं एक इंसान के रूप में उसे किसी भी तरह जस्टिफाई नहीं कर सकता हूं। मेरे उपर केनेडी का चरित्र इतना भारी हो गया था कि दोस्त भी मुझसे डरने लगे थे। वे आते तो मुझसे मिलने थे पर उन्हें केनेडी मिलता था।

At Cannes Film festival; pc: IMDB

        राहुल भट्ट ने कहा कि वे हमेशा अपने निर्देशकों के लिए ही अभिनय करते हैं, दर्शको के लिए नहीं। मैं केवल अपने डायरेक्टर की परवाह करता हूं और किसी की नहीं। आज इटली, फ्रांस और हॉलीवुड से भी मेरे पास फिल्मों में काम करने के अवसर है। मैं कश्मीरी पंडित हूं, इसलिए मेरे शरीर की बनावट ऐसी हैं कि मैं हर तरह का रोल कर सकता हूं।

       उन्होंने मशहूर फिल्म निर्देशक सुधीर मिश्रा की तारीफ करते हुए कहा कि वे तो मेरे गुरु अनुराग कश्यप के भी गुरु है, इसीलिए हमारी फिल्म ‘केनेडी’ उन्ही को समर्पित है। उन्होंने मुझे अपनी फिल्म ‘दास देव'(2018) में लीड रोल दिया था जो एक पोलिटिकल थ्रिलर थी। यह भी एक संयोग है कि इस फिल्म में अनुराग कश्यप ने उनके पिता की भूमिका निभाई थी। यह फिल्म शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास ‘देवदास’ से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि अब वे सुधीर मिश्रा की एक वेब सीरीज ‘क्राइम बीट’ कर रहे हैं जो एक पत्रकार और अंडरवर्ल्ड के रिश्तों पर है। वे मुझे बार-बार कहते हैं कि केनेडी से बाहर निकलो। कैनेडी को अपने भीतर से बाहर निकाल दो।
           राहुल भट्ट ने कहा कि वे इन दिनों दो फिल्मों पर काम कर रहे हैं। पहली है विक्रमादित्य मोटवाने की ‘ब्लैक वॉरंट’ जो पत्रकार सुनेत्रा चौधरी और तिहाड़ के जेलर रहे सुनील गुप्ता की किताब ‘ब्लैक वॉरंट: कंफेशंस ऑफ ए तिहाड़ जेलर’ पर आधारित है। इसमें दिल्ली के अपराध जगत और जेलों की व्यवस्था के साथ-साथ अफ़ज़ल गुरु जैसे ऐसे कई मुजरिमों का वृत्तांत है जिन्हें सुनील गुप्ता के जेलर रहते फांसी दी गई थी। राहुल भट्ट इसमें तिहाड़ के जेलर सुनील गुप्ता का किरदार निभा रहे हैं।

Tean Kennedy at Cannes

     उन्होंने कहा कि वे दूसरी फिल्म संजीव कौल के निर्देशन में करने जा रहे हैं जिसका नाम है ‘मेड इन कश्मीर’। यह एक डार्क कॉमेडी है जिसमें हॉलीवुड के भी कुछ कलाकारों को लिया जा रहा है। यह सच्चे अर्थों में कश्मीरी फिल्म होगी। राहुल भट्ट ने कहा कि वे कश्मीरी पंडित हैं और अपने ही देश में रिफ्यूजी हैं। उन्हें 1991 में हीं कश्मीर छोड़ना पड़ा। मुंबई आकर वे मॉडलिंग करने लगे। 1998 तक वे सुपर मॉडल बन चुके थे। तभी उन्हें सोनी टीवी पर जावेद सय्यद के निर्देशन में एक सीरीयल मिला ‘हिना’ जो पांच साल तक (1998-2003) सुपर हिट रहा। यह भारतीय मुस्लिम समाज का पहला सोशल ड्रामा था। उसके बाद उमेश मेहरा ने अपनी फिल्म ‘ये मोहब्बत है'(2002) में पहली बार राहुल भट्ट को लीड रोल में कास्ट किया। इस फिल्म की शूटिंग उज़्बेकिस्तान और रुस में हुई थी।  राहुल भट्ट ने अपनी एक फिल्म ‘सेक्शन 375 ‘ ( निर्देशक अजय बहल) का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें उनका किरदार अलग किस्म का था जो एक फिल्म निर्माता हैं और उस पर बलात्कार का आरोप लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्होंने दस साल का लंबा ब्रेक लिया और सिनेमा को समझने में समय बिताने लगे। वे कहते हैं कि इस दौरान मैं एक दिन में तीन-तीन फिल्में देखा करता था।

मेनस्ट्रीम मुंबइया सिनेमा में काम करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे हर किसी के साथ काम करना चाहते हैं पर यह दुनिया कुछ दूसरी हैं। पॉपुलर सिनेमा की दुनिया में एक से बढ़कर एक प्लेयर है। एक से बढ़कर एक बड़े लोग लगे हुए हैं। उनके बीच काम करना एक चुनौती है, पर असंभव नहीं।

राहुल भट्ट ने अल गूना फिल्म फेस्टिवल के बारे में कहा कि इजरायल-हमास युद्ध के साये में यह फेस्टिवल मानवता के लिए हो रहा है। हम कलाकारों के लिए सबसे पहले मानवता है। मशहूर रूसी रंग चिंतक स्तानिस्लावस्की ने अपनी किताब ‘ऐन ऐक्टर प्रिपेयर्स’ में लिखा है कि एक अभिनेता को सबसे पहले एक अच्छा इंसान होना चाहिए। मैं खुद ऐसा मानता हूं कि मानवता से बड़ा न तो कोई धर्म हैं न कोई ईश्वर।

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