सिनेमा में साहित्य के ‘ढाई आखर’ की सार्थक वापसी

दर्शकों को खींचने के लिए अनेकोनेक हथकंड्डों को आजमाती फिल्मों की आपाधापी में ‘ढाई आखर’ एक ऐसे सिनेमा की दरकार  है, जिसकी गुंजाइश तो हमेशा रही है पर हर बार उसे अगर जिंदा रहना है तो एक ऐसे दर्शक वर्ग का सहयोग भी चाहिए।