गुरुदत्त के बिना वर्ल्ड सिनेमा की बात करना बेमानी है
गुरुदत्त एक फिल्मकार के तौर पर कितने गहरे थे और कितने ऊंचे थे, इसे समझने के लिए उनकी फिल्में देखनी चाहिए… इस बात की बेहतर समझ प्रस्तुत लेख देता है जिसे आलोकनंदन ने साल...
गुरुदत्त एक फिल्मकार के तौर पर कितने गहरे थे और कितने ऊंचे थे, इसे समझने के लिए उनकी फिल्में देखनी चाहिए… इस बात की बेहतर समझ प्रस्तुत लेख देता है जिसे आलोकनंदन ने साल...
साहब बीबी और गुलाम सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी थी और उधर गुरुदत्त ने फिल्म का अंत बदलने के लिए दोबारा शूटिंग की तैयारी शुरु कर दी थी…
सिनेमा के पर्दे पर गुरुदत्त ने बहुत कम समय में जो कुछ रचा वो मील का पत्थर है।