Cinema ka ‘Sahir’
NDFF is organizing a special LIVE session on Sahir ‘Ludhianwi’, that can be watched on our Facebook page- https://www.facebook.com/ndffindia
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दृश्यम 2 में लेखक-निर्देशक जीतू जोसेफ़ ने खुद सिनेमा को ही कथानक का एक अहम हिस्सा बना दिया है ।
The tagline of DDLJ (1995) was ‘Come…fall in love’ and after 14 years the tagline of Dev D (2009) was-
Farmers have constantly been disappearing from hindi cinema, esp. after 1990’s. Excepts the very few films like ‘Peepli Live’, ‘Kadvi
A problem is a chance for you to do your best. – Duke Ellington The global corona virus pandemic has
सिनेमा का यही मज़ा है और यही विस्मय और विडम्बना भी की एक छोर पर बाहुबली और बजरंगी भाईजान हैं तो दूसरी तरफ मसान.
सोचिये क्या सीन रहा होगा !
ये था मदन मोहन के संगीत का जादू.
हिंदी सिनेमा के संगीत के इतिहास में जब भी फ़िल्मी ग़ज़लों का ज़िक्र होगा, मदन मोहन का नाम कतार में सबसे आगे के लोगों में गिना जायेगा. लता मंगेशकर की आवाज़ में पचास के दशक के ढलते बरसों में और साठ के दशक में गायी गयी तमाम लोकप्रिय ग़ज़लों में से कई ग़ज़लें मदन मोहन ने ही संगीतबद्ध की थीं।
फ़िल्मी संगीत के इतिहास में मदन मोहन के अलावा रोशन एक ऐसे विरल प्रतिभाशाली संगीतकार हैं जिन्हें कम समय मिला जीने के लिए लेकिन उन्होंने कालजयी संगीत रच कर एक ऐसा मुकाम बनाया है अपने लिए जिसे हासिल करना किसी भी संगीतकार का सपना हो सकता है।
साहब बीबी और गुलाम सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी थी और उधर गुरुदत्त ने फिल्म का अंत बदलने के लिए दोबारा शूटिंग की तैयारी शुरु कर दी थी…
सिनेमा के पर्दे पर गुरुदत्त ने बहुत कम समय में जो कुछ रचा वो मील का पत्थर है।