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संतोष, ऑल वी इमैजिन…, ऑस्कर और गोल्डन ग्लोब के बरक्स भारतीय सिनेमा

संध्या सूरी की फिल्म संतोष की न सिर्फ भाषा हिंदी है, बल्कि पूरी तरह आज के भारतीय समाज और उसके समसामयिक विमर्श पर आधारित है। और इन सबके बावजूद उसे सर्वश्रेष्ठ ब्रिटिश सिनेमा के तौर पर ऑस्कर अवॉर्ड के लिए प्रविष्टि बनने की राह में कोई अड़चन नहीं आई। शायद ऐसा इसलिए कि वहां पैमाना बेहतरीन सिनेमा चुनना था न कि देश का सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व करना। ब्रिटेन ने इससे पहले ऑस्कर के लिए जिन फिल्मों को आधिकारिक प्रविष्टि बनाया है, उनमें फ़ारसी, उर्दू, पश्तो, जर्मन, रूसी, पोलिश, फ्रेंच, स्वाहिली, तुर्की जैसी भाषाओं की फिल्में हैं, क्योंकि तकनीकी रुप से इस कैटेगरी के लिए फिल्म का गैरअंग्रेजी भाषा की होना ज़रुरी है।

‘Well, there goes that dream’: बैंशीज़ ऑफ इनिशेरिन का ‘लेक सीन’

आयरिश मूल के कियॉन का बचपन 7 सालों तक 13 अलग अलग अनाथालय में बीता। एक्टिंग का पहला मौका उन्हे तब मिला जब एक दुकान में लगा ऐड देखकर उन्होने अप्लाई किया। जिसमें उन्हे कुछ नहीं दिया गया, ना ही कुछ हासिल होना था…लेकिन आज 30 साल की उम्र में वो ऑस्कर की रेस में हैं।