‘Do Bigha Zamin’ ka ‘Lagaan’ tonight at 8pm
Farmers have constantly been disappearing from hindi cinema, esp. after 1990’s. Excepts the very few films like ‘Peepli Live’, ‘Kadvi Hawa’ we hardly have any film addressing the plight of farmers and farming. tune in to a webinar at 8pm tonight…… with veteran film critic & writer Ajay Brahmatmaj, film critic (and author, Kisaan aur Cinema) Sanjeev Srivastava and veteran journalist and film critic Amitaabh Srivastava.
आज़ादी के बाद किसान, जिसकी पहचान हमारे समाज और संस्कृति के नींव के तौर पर थी, सिनेमा में उसकी उपस्थिति बीते कुछ दशकों में लगातार सिमटती रही है। ये चलन 90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण के बाद और तेज़ हुआ… जब हमारे सिनेमा का कैरेक्टर, स्वरुप और सफलता के पैमाने तेज़ी से बदलने लगे। जय जवान-जय किसान के देश में आज नई पीढ़ी की किसानों और किसानी के प्रति अनभिज्ञता इसी की देन है। आखिर क्यों सिनेमा से गायब हो गया किसान और सिनेमा ने किसान को कब, कैसे और क्यों हाइलाइट किया… एक बेहद खास चर्चा प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज, सिनेमा औऱ किसान पुस्तक लिख चुके संजीव श्रीवास्तव और न्यू डेल्ही फिल्म फाउंडेशन के अध्यक्ष अमिताभ श्रीवास्तव के साथ… आज रात 8 बजे। हमारे फेसबुक NDFFIndia और यूट्यूब चैनल NDFF India पर।