11वां अंतरराष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव: पर्दे पर बच्चों का खूबसूरत संसार
जिस दौर में बाल फिल्में बनना ही लगभग बंद हो गई हों, उसमें बाल फिल्म महोत्सव का नियमित आयोजन एक बड़ी बात है। कोलकाता में साल दर साल हो रहा ये आयोजन तारीफ के काबिल है। अन्य राज्य सरकारों को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए। 11वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं कोलकाता के वरिष्ठ पत्रकार जयनारायण प्रसाद। जयनाराय़ण प्रसाद इंडियन एक्सप्रेस समूह के अखबार जनसत्ता कलकत्ता में 28 सालों तक काम करने के बाद रिटायर होकर कलकत्ता में ही रहते हैं। हिंदी में एम ए जयनारायण प्रसाद ने सिनेमा पर व्यापक रुप से गंभीर और तथ्यपरक लेखन किया है। गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी, गायक मन्ना डे, फिल्मकार श्याम बेनेगल, अभिनेता शम्मी कपूर से लेकर अमोल पालेकर, नसीरुद्दीन शाह और शबाना आज़मी तक से बातचीत। जयनारायण प्रसाद ने जाने माने फिल्मकार गौतम घोष की राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त बांग्ला फिल्म ‘शंखचिल’ में अभिनय भी किया है।
कोलकाता में इसी 22 जनवरी से 11वां अंतरराष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव शुरू हुआ है, जिसमें 30 देशों की 116 बाल फिल्में लगातार 28 जनवरी, 2025 तक दिखाई जाएंगी। हफ्ते भर तक चलने वाले इस अंतरराष्ट्रीय बाल फिल्म समारोह के लिए महानगर कोलकाता के आठ प्रेक्षागृह चुने गए हैं, जिसमें बच्चे लगातार सात दिनों तक मुफ्त में दुनिया की बेहतरीन बाल फिल्में देख सकेंगे।
बुधवार 22 जनवरी की शाम तकरीबन डेढ़ हजार बच्चों के बीच इस अंतरराष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव का आगाज़ हुआ, जिसमें बंगाल सरकार के कई मंत्री उपस्थित थे। इस बाल फिल्म महोत्सव का उद्घाटन निर्देशक ध्रुव हर्ष की खूबसूरत हिंदी फिल्म ‘इल्हाम’ (प्रेरणा, इंस्पिरेशन) से हुई।
लंदन के ‘रेनबो अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव’ में पुरस्कृत ध्रुव हर्ष की ‘इल्हाम’ वाकई एक बढ़िया बाल फिल्म है, जिसमें एक बच्चे और एक बकरे की दोस्ती को खूबसूरत ढंग से पिरोया गया है। उत्तरप्रदेश के गोंडा जिले के मूल निवासी ध्रुव हर्ष अंग्रेजी साहित्य में पीएचडी है और अब तक कई फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। पहले दिन निर्देशक ध्रुव हर्ष और इस बाल फिल्म ‘इल्हाम’ के दोनों बाल कलाकारों को कोलकाता के ‘नंदन’ प्रेक्षागृह में सम्मानित भी किया गया। इस बाल फिल्म को देखने के लिए कोलकाता के प्रायः हर स्कूल के बच्चे और उनके अभिभावक आए हुए थे।
इस अंतरराष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव में पहले दिन मशहूर फिल्मकार गौतम घोष भी मौजूद थे। उन्होंने इस फिल्म महोत्सव की तारीफ करते हुए कहा कि आज के जमाने में बाल फिल्मों की मार्केटिंग सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा- अपने देश में वैसे भी बाल फिल्में कम बनती हैं। एकाध बेहतरीन बनती है, तो उसकी मार्केटिंग करना बेहद मुश्किल काम है।
उसके बाद यह अंतरराष्ट्रीय बाल फिल्म समारोह शुरू हुआ। हफ्ते भर तक इसमें दुनिया की श्रेष्ठ बाल फिल्में दिखाई जाएंगी, जिसमें राजीव चिलाका की ‘छोटा भीम’, अमेरिका-इंग्लैंड की ‘हैरी पॉटर’, बुल्गारिया की ‘द टेस्ला केस’ और चेक फिल्म ‘लिविंग लार्ज’ समेत अनेक फिल्में शामिल हैं। इन फिल्मों में सत्यजित राय की 1980 में बनाई ‘हीरक राजार देशे’ भी शामिल है, जिसे अनेक पुरस्कार मिल चुके हैं।
इन बाल फिल्मों के अलावा जर्मनी की ‘टू फॉर अवे’, यूक्रेन की ‘द ड्रैगन स्पेल’, जापान की ‘हाचिको’, फ्रांस, रोमानिया और बेल्जियम की ‘मारोना फेंटेस्टिक टेल’ और ईरान की ‘सेल्फी विद् रुस्तम’ भी शामिल हैं। चेक गणराज्य की खूबसूरत बाल फिल्म ‘बिग ड्रीम’ भी इसमें शामिल की गई है, जिसका निर्देशन डेनियल पानेक ने किया है। चेक की यह बाल फिल्म अपनी कलात्मकता के लिए काफी मशहूर है। इस फिल्म को काफी प्रशंसा मिल चुकी है। ईरान की मशहूर बाल फिल्म ‘द पैसेंजर फ्राम गानोरा’ भी दिखाई जाएंगी, जिसका निर्देशन सैयद अहमद अलामदार ने किया है। इस फिल्म को देखना भी दिलचस्प रहेगा। कहते हैं कि इस अनूठी बाल फिल्म की कथा सबसे अलग है। सत्यजित राय की मशहूर फिल्म ‘सोनार केल्ला’ भी इसमें शामिल हैं।
इस अंतरराष्ट्रीय बाल फिल्म समारोह का थीम है ‘फंतासी’। इसके अलावा कोलकाता के ‘एक तारा मुक्त मंच’ में हर रोज़ अलग-अलग समय में चार्ली चैपलिन की ‘द किड’, रोजर एलर्स की ‘द लायन किंग’, स्टीवन स्पीलबर्ग की ‘ईटी’ और सत्यजित राय की ‘सोनार केल्ला’ दिखाई जाएंगी।
आखिरी दिन यानी 28 जनवरी, 2025 की शाम गुजराती फिल्म ‘प्रवास’ से इस अंतरराष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव का समापन होगा। इस फिल्म का निर्देशन विपुल शर्मा ने किया है। एक गरीब बच्चे की दुनिया पर बनीं विपुल शर्मा की यह गुजराती फिल्म ‘प्रवास’ को बांग्लादेश के 22वें ढाका अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिल चुका है।