भारतीय फिल्मों में त्रयी परंपरा और बुद्धदेब बाबू

कवि, प्रोफेसर और फिल्मकार, बुद्धदेव दासगुप्ता समकालीन भारत की सबसे अहम सिनेमाई आवाजों में से थे। उनके पास कल्पना थी, एक कवि की गीतात्मकता थी और इसे सिनेमा में बदलने का हुनर था।