सामवेद फिलॉस्फी नहीं, प्रार्थना है, बंदे की सर्वशक्तिमान से : इकबाल दुर्रानी

जब अंधेरा ज्यादा होता है तभी चिराग जलाने की ख्वाहिश होती है। थोड़ी रोशनी बढ़े। दुनिया के तमाम धर्म ग्रंथ जोड़ने का काम करता है, सामवेद भी जोड़ता है।