नाम में क्या रखा है : दिलीप कुमार के बहाने
हिंदुस्तानी सिनेमा की जो धर्मनिरपेक्षता और साझा संस्कृति की परंपरा रही है, दिलीप कुमार उसी परंपरा के महान आइकन हैं क्योंकि वे जितने दिलीप कुमार हैं, उतने ही यूसुफ खान भी हैं। वे जितने देवदास हैं, उतने ही शहज़ादा सलीम भी हैं, जितने मुंबई के हैं, उतने ही पेशावर के भी हैं और जितने उर्दू के हैं, उतने ही हिंदी के हैं