फिल्म लेखक व्रजेंद्र गौड़ की याद में

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कुछ दिन पहले हमने अपने फेसबुक पेज पर एक फिल्म की क्लिप साझा की थी, जिसमें फिल्म के हीरो विनोद खन्ना और हीरोइन सायरा बानो किसी कविता की एक लाइन को लेकर आपस में चर्चा कर रहे हैं कि वो लाइन टैगोर की कविता की है या निराला की। ये थी 1974 में बनी फिल्म आरोप, जिसके निर्देशक थे गुरुदत्त के भाई आत्माराम। (हमारे फेसबुक पोस्ट और वीडियो का लिंक लेख के अंत में)। दरअसल इस फिल्म के ये संवाद जिन लेखक की कलम से निकले थे वो थे व्रजेंद्र गौड़। गौड़ साहब ने मुख्यधारा की कई कमर्शियल फिल्मों के साथ साथ कई गंभीर फैमिली सिनेमा वाली फिल्मों की भी पटकथा और संवाद लिखे और एक फिल्म का निर्देशन भी किया द ग्रेट गैंबलर, शर्मीली, गीत गाता चल, अंखियों के झरोखों से, दुल्हन वही जो पिया मन भाए, सरस्वती चंद्र जैसी चंद फिल्में इसकी मिसाल हैं। शक्ति सामंत जैसे फिल्मकार अपने करियर और सफलता का बड़ा श्रेय व्रजेंद्र गौड़ को देते थे। उनकी जयंती पर उन्हे याद करते हुए उनके पुत्र राजेश गौड और सुनील गौड़ का लेख।

व्रजेंद्र गौड़ रेडियो लखनऊ पर नाटक लिखा करते थे जब उन्हें अभिनेता मोतीलाल ने बॉम्बे बुलाया,  गौड़ जी के नाटक ‘ढाई लाख’ से मोतीलाल बहुत प्रभावित थे। उन्होंने गौड़ को अपनी फिल्म ‘सावन’ लिखने को कहा यह फिल्म हिट हुई और इसके बाद गौड़ जी की बहुत सी फिल्में उस दौर में सफल  रहीं। इनमें संग्राम, परिणीता, काफिला, शमशीर जैसी फिल्में और अशोक कुमार अभिनीत सितारों से आगे और हावड़ा ब्रिज भी शामिल रहीं।

    35 साल तक व्रजेंद्र गौड़ फिल्म उद्योग का हिस्सा थे, जिसमें उन्होंने बिमल रॉय की परिणीता, संग्राम, चाइना टाउन, मंजिल, तीन देवियां, हावड़ा ब्रिज, सरस्वतीचंद्र, शर्मीली, लाल पत्थर, कटी पतंग, अनुराग, अंखियों के झरोखों से, द ग्रेट गैम्बलर, दुल्हन वही जो पिया मन भाये,  जैसी तमाम सफल  फिल्में लिखीं। फिल्म ‘दुल्हन वही जो पिया मन भाये’ के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पटकथा और संवाद के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।

गौड़ जी ने 1954 में ‘कस्तूरी’ नाम की एक फिल्म का भी निर्देशन किया था जिसमें फिल्म निर्माता शक्ति सामंत उनके सहायक थे। ‘कस्तूरी’ के अच्छा करने के बावजूद गौड़ जी ने फिर किसी भी  फिल्म का निर्देशन नहीं किया। उन्होने ‘कस्तूरी’ के बाद मिले निर्देशन के प्रस्तावों को शक्ति सामंत को सौंप दिया, जो  हमेशा कहते रहे कि उनकी फिल्मी यात्रा और सफलता के लिए व्रजेंद्र गौड़ जिम्मेदार हैं।

  व्रजेंद्र गौड़ ने देव आनंद की कई फिल्में जैसे ‘जाली नोट’, ‘मंजिल’, ‘बारिश’, ‘सरहद’, ‘तीन देवियां’, ‘बात एक रात की’  वारंट, आदि के लिए कहानी और संवाद लिखे। 1 अप्रैल 1924 को उत्तर प्रदेश के इटावा में जन्मे व्रजेंद्र गौड़ का निधन 7 अगस्त 1980 को मुंबई में हुआ। अभिनेता दिलीप कुमार ने इतनी कम उम्र में उनके निधन पर अफसोस जताते हुए उन्हे असली हीरा बताया था। अमिताभ बच्चन ने भी उन्हे बेहद शिद्दत से याद करते हुए उनके निधन को फिल्म उद्योग के लिए बड़ा झटका बताया था।

व्रजेंद्र गौड़ का लिखा वो दृश्य जिसमें फिल्म के हीरो-हीरोइन टैगोर और निराला की कविता को लेकर चर्चा कर रहे हैं (क्लिक करें)