जोजी: मास्क के पीछे छिपे लालच, ताकत के मंसूबे उघाड़ती फिल्म
लालच और सत्ता की महत्वाकांक्षा हमेशा से मानव समाज की हर इकाई को नई, अनजानी और अनचाही दिशाओं की ओर मोड़ती रही है… इसलिए यही हमारी साहित्यिक कृतियों का प्रमुख विषय भी रहा है वो चाहे मैकबेथ हो या महाभारत। अमेज़न प्राइम पर 7 अप्रैल को रिलीज़ हुई दिलीश पोथन निर्देशित नई मलयालम फिल्म ‘जोजी’ एक ऐसी ही क्राइम थ्रिलर जो मैकबेथ से प्रेरिित है। अपने ट्रीटमेंट, विजुअल अपील और म्यूज़िक की वजह से रिलीज़ होते ही फिल्म को ज़बरदस्त रिस्पॉन्स मिला है, खासतौर पर फिल्म के मुख्य अभिनेता फ़हाद फ़ासिल के काम की बहुत चर्चा है। अमिताभ श्रीवास्तव की समीक्षा…
अच्छे सिनेमा का शौक़ है तो तमाम ओटीटी मंचों पर हिंदी से अलग भारतीय भाषाओं की फिल्में देखें। अमेज़न प्राइम पर एक बेहतरीन मलयाली फ़िल्म रिलीज़ हुई है – जोजी। फ़िल्म शेक्सपीयर के मशहूर नाटक मैकबेथ से प्रेरित बताई गई है लेकिन ठीक उस अर्थ और प्रारूप में नहीं , जिस तरह विशाल भारद्वाज ने मक़बूल में दिखाया था। मैकबेथ इन्सान के भीतर सत्ता पाने की भूख, लोभ और महत्वाकांक्षा का प्रतीक है , मामला चाहे एक साम्राज्य से जुड़ा हो या एक परिवार से। फ़िल्म के मुख्य पात्र जोजी में भी मैकबेथ अपने परिवार की सत्ता पाने की महत्वाकांक्षा के मनोवैज्ञानिक प्रतीक की तरह मौजूद है, प्रत्यक्ष न दिखते हुए भी उपस्थित। कोविड के दौरान पहना जाने वाला मास्क फ़िल्म में एक मुखौटे की तरह भी इस्तेमाल हुआ है- अपना चेहरा, हावभाव और पहचान छिपाने के लिए ।
कहानी केरल में घनी हरियाली के बीच बसे एक मलयाली परिवार की है जिसका मुखिया कुट्टपन एक दबंग , ताकतवर रईस बुज़ुर्ग है । फ़िल्म की शुरुआत में ही उसे तगड़ी कसरत करते दिखाया गया है। सत्तर साल से भी ज़्यादा उम्र का कुट्टपन जिस्म से इतना मज़बूत है कि तमाम मज़दूर जो पाइप नहीं हिला पाते, उसे वह उखाड़ देता है। उसके तीन बेटे हैं , तीनों पर उसका हुक्म चलता है।बड़ा बेटा तलाकशुदा है, शराबी है, अपने किशोर बेटे के साथ उस घर में रहता है। मझला बेटा दब्बू है । उसकी पत्नी बिंसी परिवार में इकलौती महिला है जिसका ज़्यादातर वक़्त रसोईघर में बीतता है पुरुषों की फ़रमाइशों पूरी करते हुए। उसकी घुटन फ़िल्म का एक अहम पहलू है। सबसे छोटा बेटा जोजी पिता कुट्टपन की नज़र में निहायत निकम्मा और फ़ालतू प्राणी है और वह यह जताने से कभी चूकता नहीं कि जोजी दरअसल उसके टुकड़ों पर पल रहा है। एक दृश्य में में जोजी कुट्टपन के सवाल के जवाब में ख़ुद को उसके साम्राज्य की एक प्रजा बताकर घृणा, ग़ुस्से असंतोष को ही अभिव्यक्त करता है। बाप-बेटे के रिश्ते में कड़वाहट साफ़ दिखती है।
पाइप उखाड़ने की घटना के बाद कुट्टपन बीमार हो जाता है और अस्पताल में कई दिन ज़िंदगी और मौत के बीच झूलने के बाद अपाहिज हालत में घर लौटता है । कुट्टपन की संदिग्ध मौत के बाद भाइयों के बीच जायदाद के बँटवारे को लेकर उखाड़पछाड़ चलती है । फ़िल्म रिश्तों में धोखाधड़ी, साज़िश की परतों को बड़ी बारीकी से दिखाती उघाड़ती चलती है। बिंसी जोजी को उकसाती है । जोजी के शराबी भाई को पिता की मौत के मामले में उस पर शक होता है तो जोजी उसे भी मार देता है। यहां पैलेट गन का इस्तेमाल दिलचस्प है। सभी कलाकारों ने बहुत अच्छा काम किया है लेकिन मुख्य पात्र जोजी की भूमिका में फहाद फ़ासिल ग़ज़ब हैं।