पहचान की तलाश वाया ‘पाताललोक’
A thriller re-identifying its characters, class and conflict therein…

A thriller re-identifying its characters, class and conflict therein…
दूरबीन का क्या काम होता है? दूर के दृश्य को आपके पास ले आना , इतना पास कि लगे जैसे
‘पंचायत’ में गांव की सुबह 9 बजे वाली दोपहर का भी ज़िक्र है, शाम 7 बजे के सन्नाटे का भी और दो रुपए पीस बिकने वाले पेठे का भी। गांव के बाहर वाले पेड़ का भूत भी है, शादी में रुठ जाने वाला कमसिन उमर का शौकीन दूल्हा भी और रिंकिया के पापा यानी प्रधान-पति भी हैं। पंचायत में गांव के सारे बिंब उनको मनोरंजक बनाने वाली नज़र के साथ पेश किए गए हैं और यही वजह है कि इसे देखते हुए हिंदी के पाठकों को श्रीलाल शुक्ला के कालजयी उपन्यास ‘राग दरबारी’ की याद हो आएगी।
– Parul Budhkar (पारुल बुधकर एक वरिष्ठ पत्रकार हैं। पिछले दो दशकों के दौरान उन्होने कई जाने माने अखबारों और
आशीष कुमार सिंह 91वें ऑस्कर के लिए 10 नामांकन पाने वाली मेक्सिकन फिल्म ‘रोमा’ ने तीन ऑस्कर जीतकर
NDFF organized screening of Mrinal Sen’s film Bhuvan Shome, that paved the way for parallel cinema in Hindi film industry.
भारत में क्षेत्रीय सिनेमा में लगातार बेहतरीन काम हो रहा है, जो मुख्यधारा के दर्शकों और सिनेप्रेमियों की जानकारी और
Renowned journalist Rajdeep Sardesai watched the film Sanju and wrote a long piece on his blog ‘The Mumbai Story That