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कान 2024 (6): कान में संतोष शिवन को सिनेमैटोग्राफी का बड़ा सम्मान

संतोष शिवन ने इस अवसर पर आभार प्रकट करते हुए कहा कि सिनेमैटोग्राफी एक वैश्विक कला है इसलिए यह यूनिवर्सल है।जितनी आसानी से मैं तमिल और मलयालम सिनेमा में काम करता हूं उतनी ही सुविधा से हिंदी सिनेमा, हॉलीवुड और विश्व सिनेमा में काम करता हूं। उन्होंने कहा कि एक बार जापान के सिनेमैटोग्राफर एसोसिएशन के आमंत्रण पर मैं उनके साथ पचास दिन रहा। मैंने देखा कि वे मेरी फिल्म ‘दिल से’ के मशहूर गीत ‘छैंया छैंया’ गा रहे थे।

कान 2024 (5): पायल कपाड़िया की ‘आल वी इमैजिन ऐज़ लाइट’ का शानदार प्रीमियर

कान फिल्म फेस्टिवल के 77 सालों के इतिहास में तीस साल बाद कोई भारतीय फिल्म मुख्य प्रतियोगिता खंड में चुनी गई है। वह फिल्म है पायल कपाड़िया की मलयालम हिंदी फिल्म ‘आल वी इमैजिन ऐज लाइट’।  इससे पहले 1994 में शाजी एन करुण की मलयालम फिल्म ‘स्वाहम’ प्रतियोगिता खंड में चुनी गई थी।

कान 2024 (3):भारत में आबादी, इस्लाम, तालीम पर सवाल उठाती ‘हमारे बारह’

ऊपर से लग सकता है कि यह फिल्म मुस्लिम समाज पर सीधे सीधे आरोप लगा रही है कि देश की आबादी बढ़ाने में केवल वहीं जिम्मेदार है। लेकिन आगे चलकर इस मुद्दे की पृष्ठभूमि में बिना किसी समुदाय की भावना को आहत किए कई मार्मिक कहानियां सामने आती हैं। बिना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए निर्देशक कमल चंद्रा ने साफगोई से अपनी बात कहने के लिए इमोशनल मेलोड्रामा का प्रयोग किया है।

कान 2024 (2): क्लासिक खंड में श्याम बेनेगल की ‘मंथन’

‘मंथन’ भारत की पहली फिल्म थी जो क्राउड फंडिंग से बनी थी। उस समय गुजरात के पांच लाख किसानों ने दो दो रुपए का चंदा देकर दस लाख रुपए जमा किए थे। कान में ‘कान क्लासिक’ खंड के तहत इसका प्रदर्शन निस्संदेह भारतीय सिनेमा के लिए गौरव की बात है।

Meryl Streep in Cannes

कान 2024 (1): कान में पहली बार 10 भारतीय फिल्में

फ्रांस में होने वाला 77वां कान फिल्म समारोह शुरू हो चुका है। इस बार के फेस्टिवल की एक खास बात ये भी है कि इतिहास में पहली बार दस भारतीय फिल्में आफिशियल सेलेक्शन में दिखाई जा रही है। सीधे कान से पहली रिपोर्ट…

इजिप्ट डायरी 5: संकटग्रस्त सूडान से एक अच्छी खबर… ‘गुड बाय जूलिया’

फिल्म ‘गुडबाय जूलिया’ को छठे अल गूना फिल्म फेस्टिवल (इजिप्ट) में द सिनेमा फॉर ह्यूमनिटी ऑडिएंस अवॉर्ड से नवाजा गया है। इसके निर्देशक मोहम्मद कोरदोफानी उत्तरी सूडानी अरब है जिन्हें इस बात का अफसोस है कि अरबों ने बहुत नस्लवादी अत्याचार किए हैं जिस कारण सूडान का विभाजन हुआ। उनका कहना है कि यह फिल्म प्रायश्चित का एक छोटा सा प्रयास है।

इजिप्ट डायरी-1: अनुराग कश्यप जीनियस डायरेक्टर, ऐक्टर को बिना सिखाए सब कुछ सिखा देते हैं- राहुल भट्ट

राहुल भट्ट ने अल गूना फिल्म फेस्टिवल के बारे में कहा कि इजरायल-हमास युद्ध के साये में यह फेस्टिवल मानवता के लिए हो रहा है। हम कलाकारों के लिए सबसे पहले मानवता है। मशहूर रूसी रंग चिंतक स्तानिस्लावस्की ने अपनी किताब ‘ऐन ऐक्टर प्रिपेयर्स’ में लिखा है कि एक अभिनेता को सबसे पहले एक अच्छा इंसान होना चाहिए।

अरब डायरी 7: तीसरे रेड सी फेस्टिवल में चमकीं पाकिस्तानी फिल्में

तीसरे ‘रेड सी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’ में बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड पाने वाली पाकिस्तानी फिल्म ‘इन फ्लेम्स’ निर्देशक ज़रार कहन की पहली फिल्म है। पाकिस्तान की ही ईरम परवीन बिलाल की फिल्म ‘वखरी’ (वन ऑफ अ काइंड) को भी काफी लोकप्रियता मिली जो एक सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर कंदील बलोच की ऑनर किलिंग की सच्ची घटना से प्रेरित है।

निर्देशक राज कपूर मेरे आदर्श हैं, अभिनेता राज कपूर नही – रणबीर कपूर

‘एक कलाकार के लिए कोई बाउंड्री नहीं होती। मैं पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री को बधाई देता हूं कि उन्होंने ‘मौला जाट’ जैसी सुपरहिट फिल्म बनाई। पिछले कई सालों में ऐसी फिल्म हमने नहीं देखी।’ – रणबीर कपूर