अरब डायरी 2024 (4): बांग्लादेश के मकसूद हुसैन की फिल्म ‘सबा’ की विकलांग सच्चाई

यह एक अजीबोगरीब स्थिति है कि एक ही फ्लैट में दो औरतें कैद हैं। शीरीन शारीरिक रूप से कैद हैं क्योंकि वह अपने से हिल डुल भी नहीं सकती जबकि उसकी बेटी सबा भावनात्मक रूप से कैद हैं क्योंकि वह अपनी मां को अकेले मरता हुआ नहीं छोड़ सकती। मकसूद हुसैन ने ढाका के निम्नमध्यवर्गीय जीवन का चित्रण बहुत गहराई से किया है। मकसूद हुसैन ने फिल्म में प्रकट हिंसा कहीं नहीं दिखायी है लेकिन वातावरण में हर पल हिंसा की आहट सुनाई देती है। एक एक दृश्य को यथार्थवादी ढांचे में फिल्माया गया है। सबा की भूमिका में महज़बीन चौधरी ने बेमिसाल काम किया है।