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लोक कलाओं की दुर्दशा: ‘द लिपस्टिक बॉय’ के बहाने

उदय शंकर,केलुचरण महापात्र, राम गोपाल,बिरजू महाराज,गोपी कृष्ण जैसे नामचीन कलाकारों ने लंबे संघर्ष के बाद कला जगत में अपनी प्रतिष्ठाजनक जगह बना ली। पर पुरुष नर्तक होने के कारण उन्हें जिस तरह समाज, जाति और परिवार की उपेक्षा,तिरस्कार और प्रताड़ना सहनी पड़ी उस के बारे में मुंह पर ताला ही लगा कर रखा गया। इन्हें जातिगत और लिंग आधारित अपमान दोनों झेलने पड़े।

‘चंपारण मटन’: ‘मटन’ की ख्वाहिश, ‘चंपारण’ का प्रतिरोध

फिल्म ‘चंपारण मटन’ की सफलता की सार्थकता सिर्फ ऑस्कर नाम से जुड़े चकाचौंध वाले मुकाम या उससे जुड़े तमाम आंकड़ों भर में नहीं है.. ‘चंपारण मटन’ की कामयाबी इस फिल्म को देखकर ही समझा जा सकता है। ये वो सिनेमा है जो हमें आज चाहिए।