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गिरीश कर्नाड:  मिथक से यथार्थ तक का सफर

 गिरीश कर्नाड को संगीत अकादमी , साहित्य अकादमी , कन्नड़ साहित्य अकादमी के पुरस्कार के साथ ज्ञानपीठ सम्मान मिला था । वे पद्मश्री , पदमविभूषण से विभूषित किये गये थे लेकिन यह उनका वास्तविक परिचय नही है । वास्तविक परिचय यह है उन्होने नाटकों के क्षेत्र में मौलिक काम किया । पुराण और लोकमिथकों की प्रस्तुति नये संदर्भो में की । बादल सरकार , विजय तेंदुलकर , उत्पल दत्त जैसे साथी नाटककारों से मिल कर रंगमंच की भारतीय छबि बनाई । उनके साथ इस पीढ़ी का अंत हो रहा है ।

कान 2024 (2): क्लासिक खंड में श्याम बेनेगल की ‘मंथन’

‘मंथन’ भारत की पहली फिल्म थी जो क्राउड फंडिंग से बनी थी। उस समय गुजरात के पांच लाख किसानों ने दो दो रुपए का चंदा देकर दस लाख रुपए जमा किए थे। कान में ‘कान क्लासिक’ खंड के तहत इसका प्रदर्शन निस्संदेह भारतीय सिनेमा के लिए गौरव की बात है।