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सच्चे ‘जन कलाकार’ थे बलराज साहनी

बलराज साहनी ने केवल अभिनेता ही नहीं बल्कि एक अध्यापक, नाट्य लेखक-निर्देशक, रेडियो उद्घोषक, ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यों को पूरी ईमानदारी के साथ किया। उनके भीतरी और बाहरी रूप में कोई अलगाव न था। देश और देश की जनता के लिए कुछ बेहतर और अच्छा करने की बेचैनी ने उन्हें लाहौर, शांतिनिकेशन, सेवाग्राम(वर्धा), लंदन, बंबई और न जाने कहाँ-कहाँ घुमाया, लेकिन इन सभी जगहों से एक कलाकार के रूप में उन्होंने बहुत कुछ पाया।

ओटीटी कंटेंट में गंदगी पर बॉलीवुड भी बोलने लगा

खुलकर के गाली-गलौज और अश्लील संवादों का इस्तेमाल सबसे पहले फिल्मों में फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप ने न सिर्फ शुरू किया था, बल्कि ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ और ‘रियलिस्टिक क्रिएटिव टच’ के नाम पर इसको लगातार जस्टिफाई भी करते रहे।