हमारे समय की ‘झीनी बीनी चदरिया’

फिल्म ‘झीनी बीनी चदरिया’ कहीं भी बनारस की गंगा आरती, सांड, पान, क्लीशे बन चुका मणिकर्णिका जैसी और अन्य टूरिस्टी चीज़ों में नहीं फंसती. वो माइक पर हो रही घोषणाओं, निर्माण कार्य और गली कूचों के जरिए बनारस को बनाए रखती है और एक ऐसी चादर बीनती है जिसके पार हम धुंधला सा बनारस देख पाते हैं.