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गुलज़ार की फिल्मों का ज़िंदगीनामा

एक शायर और गीतकार के तौर पर गुलज़ार आज भी सक्रिय हैं, लोकप्रिय हैं और प्रासंगिक हैं। बल्कि साल दर साल उनकी लोकप्रियता और मुकाम और ऊंचाई हासिल करता जा रहा है। 89वें जन्मदिन के मौके पर चर्चा फिल्मकार गुलज़ार और उनकी फिल्मों की।

दुनिया में ऐसा कहां सबका नसीब है… : पुण्य तिथि पर आनंद बक्शी की याद 

आनंद बक्शी की तमन्ना थी कि वो आख़िरी दिन तक गाने लिखते रहें। ज़िंदगी के आख़िरी दो महीनों में उन्होंने नौ गाने लिखे। ये गाने अनिल शर्मा और सुभाष घई के लिए थे। बक्शी जी भूतपूर्व फ़ौजी थे और हमेशा इज़्ज़त से विदा होना चाहते थे। वो क़तई नहीं चाहते थे कि रिटायर हो जाएँ और बीमारी की वजह से काम बंद कर दें। वो कहते थे-
‘इससे पहले कि फ़िल्म इंडस्ट्री मुझे छोड़े, मैं फ़िल्म इंडस्ट्री को छोड़ना चाहता हूँ।‘