दुनिया में ऐसा कहां सबका नसीब है… : पुण्य तिथि पर आनंद बक्शी की याद
आनंद बक्शी की तमन्ना थी कि वो आख़िरी दिन तक गाने लिखते रहें। ज़िंदगी के आख़िरी दो महीनों में उन्होंने नौ गाने लिखे। ये गाने अनिल शर्मा और सुभाष घई के लिए थे। बक्शी जी भूतपूर्व फ़ौजी थे और हमेशा इज़्ज़त से विदा होना चाहते थे। वो क़तई नहीं चाहते थे कि रिटायर हो जाएँ और बीमारी की वजह से काम बंद कर दें। वो कहते थे-
‘इससे पहले कि फ़िल्म इंडस्ट्री मुझे छोड़े, मैं फ़िल्म इंडस्ट्री को छोड़ना चाहता हूँ।‘