Satyajit Ray

Ritwik Ghatak centenary
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ऋत्विक घटक जन्मशती: विस्थापन भोगे ‘नागरिक’ की याद

इस आयोजन में घटक की फिल्म ‘नागरिक’ की स्क्रीनिंग और उस पर महत्वपूर्ण सिनेमा विशेषज्ञों की चर्चा बहुत खास रही। विभाजन पर बनायी ऋत्विक घटक की पहली फिल्म ‘नागरिक’ की कहानी विभाजन के तुरंत बाद के कलकत्ता की है। फिल्म उत्तरी बंगाल के एक परिवार के ज़रिए युद्ध और विभाजन के बाद के दौर के संघर्षों के बारे में बात करती है।

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प्रेमचंद और सत्यजित राय की ‘शतरंज के खिलाड़ी’

प्रेमचंद की ये कहानी जहां से शुरू होती है और जहां समाप्त होती है वो दो महत्वपूर्ण ऐतिहासिक बिंदु हैं। वो पहले बताते हैं कि क्यों हमारा देश गुलाम हुआ, लखनऊ की घटना, वाजिद अली शाह के समय में लखनऊ के माध्यम से, मीर और मिर्ज़ा के माध्यम से ये बताते हैं।

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Remembering Rituparno Ghosh…

Rituparno Ghosh came into the limelight with ‘Unishe April’ in 1994. Over the next twenty years, and twenty feature films, he not only breathed new life into the industry, but also went on to wield the kind of influence and attain a stature that few film-makers from Bengal had before him.

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कान 2025 (6): सत्यजीत रे की फिल्म ‘अरण्येर दिन रात्रि’ का नया अवतार

शर्मिला टैगोर ने कहा कि आज 55 साल बाद हम इस फिल्म का संरक्षित प्रिंट देखने जा रहे हैं। मैं इतनी दूर भारत से चलकर इसीलिए यहां आई हू। करीब पचपन साल पहले इसकी शूटिंग मध्य भारत के एक जंगल में हुई थी जहां बहुत तेज गर्मी पड़ती थी और एयर कंडीशनर जैसे सुख सुविधा का कोई साधन नहीं था। हम सब अलग-अलग खपरैल घरों में ठहरे थे। दो शिफ्ट में शूटिंग होती थी, सुबह साढ़े पांच से नौ बजे और शाम को तीन से छह बजे तक। बाकी समय हम अड्डा जमाते थे और एक दूसरे को जानने समझने की कोशिश करते थे और दोस्ती करते थे। बाद में हम सभी अद्भुत दोस्त बन गए।

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दुर्गा का प्रयाण

दुर्गा को आप बंगाली, या भारतीय सिनेमा का चरित्र ही नहीं कह सकते। यह विश्व सिनेमा की धरोहर है। जैसे लियोनार्दो दा विंची की मोनालिसा।

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नहीं रहीं ‘पथेर‌ पांचाली’ की दुर्गा

उमा दासगुप्ता ने दुर्गा के किरदार को ‘पथेर पांचाली’ में ऐसा जीवंत किया कि आज यह फिल्म दुनिया की एक ‘आइकोनिक मूवी’ बन गई है। ‘पथेर पांचाली’ को संसार की सौ बेहतरीन फिल्मों में शुमार किया जात है।

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‘एकमात्र सत्यजित राय…’ – ऋत्विक कुमार घटक

जो भी हो, सत्यजित बाबू के शिल्पकर्म को लेकर यह आलोचना नहीं है। उनकी ‘पथेर पांचाली’ हम लोगों को या मेरी ज्ञान-पिपासा को कैसे संतुष्ट करती है, इसका लाक्षणिक बखान भर है यह ! सत्यजित राय पर ऋत्विक घटक के दुर्लभ आलेख का जयनारायण प्रसाद का किया हिंदी अनुवाद।

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भारतीय सिनेमा के लिए ‘ऑस्कर’ का सबसे यादगार दिन

पुरस्कार देने से पहले सत्यजित राय से पूछा गया था आप किनके हाथों यह ऑस्कर ट्राफी लेना चाहेंगे? सत्यजित राय ने तत्काल अभिनेत्री ऑड्रे हेपबर्न का नाम लिया था। सत्यजित राय अभिनेत्री ऑड्रे हेपबर्न के बहुत बड़े फैन थे।

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सत्यजित राय और उनका सिनेमा क्यों खास हैं?

संस्कृति, सिनेमा और मीडिया के गंभीर समीक्षक जवरीमल्ल पारख जी का ये लेख सत्यजित राय पर लिखी उनकी श्रृंखला की पहली कड़ी है। जो लोग सत्यजित राय के काम और उसकी अहमियत के बारे में विस्तार से नहीं जानते हैं, उन्हे ये लेख ज़रुर पढ़ना चाहिए।

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