एक इंडो-फ्रेंच लव स्टोरी का फ्रांस में ‘निर्वाण’

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Ajit Rai
Ajit Rai
Ashutosh Gowariker and Aseem Bajaj at Nirvana Film Festival
Global launch of ‘The Great Indian Genius Har Dayal’, a biography written by Dr Bhuvan Lall (centre)

           ‌ रघुनाथ मनेत की फिल्म ‘रिटर्न टू पांडिचेरी’ विदेशियों द्वारा भारतीय अनाथ/गरीब बच्चों को गोद लेने, उन बच्चों में बढ़ रहे पहचान के संकट (आइडेंटिटी क्राइसिस), डांस थिरेपी, भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिकता, शास्त्रीय नृत्य आदि कई मुद्दों पर एक साथ बात करती है। फिल्म का एक सबसे सशक्त पक्ष उसकी सिनेमैटोग्राफी है। वेलु प्रभाकरण का कैमरा पांडिचेरी के खूबसूरत समुद्र, वहां की गलियां और जनजीवन के साथ चरित्रों के मनोभावों को भी प्रभावी ढंग से दिखाता है। वैसे तो फिल्म में अक्सर भगवान शिव को समर्पित नृत्य के माध्यम से दैनंदिन दुःखों से मुक्ति के प्रसंग भरे पड़े हैं, पर कभी कभी दिल का दर्द आंसू बनकर निकल ही आता है। फिल्म का हर चरित्र सीने में दर्द को दबाए अपनी जीवन यात्रा में लीन हैं।  यह फिल्म मनुष्य की सांस्कृतिक पहचान की खोज को केंद्र में लाती है।

            फिल्म में हम देखते हैं कि रघुनाथ मनेत पांडिचेरी में अनाथ बच्चों का एक नृत्य स्कूल चलाते हैं। वहां रह रही दस साल की एक अनाथ बच्ची रूबी को फ्रांस की दो संभ्रांत और अमीर औरतें, मारियान बोर्गो और केरीन, गोद लेती हैं और उसे लेकर पेरिस आ जाती हैं। पेरिस में रूबी, मारियान और केरीन खुश हैं और यहा किसी चीज की कमी नहीं है। समस्या तब खड़ी होती है जब रूबी बीस साल की होती हैं और उसे अपनी पहचान के संकट से गुजरना पड़ता है। उसकी यादों में बचपन के दृश्य कौंधने लगते हैं। वह अपनी दत्तक माताओं से कहती हैं कि उसे उसके अपने शहर पांडिचेरी जाना है और अपने वास्तविक माता पिता से मिलना है। मारियान और केरीन उसे लेकर पांडिचेरी आती है। रघुनाथ मनेत के नृत्य स्कूल में आते ही रूबी की दुनिया बदलने लगती है। यहां उसे पता चलता है कि वह एक खानाबदोश (जिप्सी) मां की संतान हैं। उसकी मां उसे रघुनाथ मनेत के अनाथालय के दरवाजे पर छोड़ गई थी। यहां उसकी दोस्ती एक युवक से होती है पर उसका प्रेम उसे कोई राहत नहीं दे पाता। दूसरी ओर उसके बचपन का दोस्त दस साल से उसका इंतजार कर रहा है। यहां हम फ़्लैश बैंक में उन दोनों के बचपन की कुछ अद्भुत छवियां देखते हैं। थोड़ी देर के लिए रूबी अपने नृत्य गुरु रघुनाथ के प्रति भी आकर्षित होती है पर वहां भी उसे निराशा ही हाथ लगती है। रघुनाथ शिव की नृत्य अराधना में इतना डूब चुका है कि उसके जीवन में किसी दूसरे के लिए कोई जगह नहीं बची है। अंततः रूबी की दोनों दत्तक माएं निराश होकर पेरिस लौट रहीं हैं और अंतिम दृश्य में हम देखते हैं कि रूबी अपने बचपन के दोस्त के साथ मोटरसाइकिल पर कहीं जा रही है।

            दक्षिणी फ्रांस के समुद्री शहर सेंट ट्रोपे में भारतीय संस्कृति का निर्वाण फिल्म फेस्टिवल होना बहुत मायने रखता है। यह छोटा सा शहर दुनिया भर के सेलेब्रिटी को आकर्षित करता रहा है। यहा के बंदरगाह पर दुनिया भर के अमीरों के निजी जहाज लंगर डाले दिख जाएंगे। यहां हॉलीवुड और यूरोप की कई बड़ी फिल्मों की शूटिंग होती रही है। विश्वप्रसिद्ध चित्रकार पिकासो से लेकर आधुनिक चित्रकारों तक, अर्नेस्ट हेमिंग्वे से लेकर ज्यां पॉल सार्त्र जैसे लेखक, आर्सन वेल्स, मोनाको की महारानी और हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री ग्रेस केली से लेकर लियोनार्डो डिकैप्रियो, क्वेंटिन तारंतिनों और आज के सुपरस्टार टॉम क्रूज़ तक ने इस शहर को बहुत प्यार दिया है। इन सारी भव्यता के बीच इस शहर में फ्रेंच कमांडर ज्यां फ्रांसुआ अलार्ड और हिमाचल की राजकुमारी बन्नू पान देई की प्रेम कहानी आज भी सांस ले रही है।

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