Tagged: Bollywood

Priyanka Chopra

अरब डायरी 2024 (6): फिल्म इंडस्ट्री में मेरा कोई गॉडफादर नहीं- प्रियंका चोपड़ा

जब अनुराग बसु ने ‘बर्फी’ की कहानी सुनाई तो पहले तो मुझे लगा कि यह रोल नहीं कर पाऊंगी, पर लहरों के खिलाफ जाना मेरी आदत बन चुकी थी। उन दिनों रणबीर कपूर न्यूयॉर्क में ‘अनजाना-अनजानी’ की शूटिंग कर रहे थे। मैं एक इवेंट में जाने की जल्दी में थी। अनुराग बसु ने कहा कि ठीक है, वे दूसरी फिल्म के लिए मुझसे बाद में मिलेंगे। मैंने उनसे पांच दिन का समय मांगा।

Kareena Kapoor

अरब डायरी 2024 (2): आमिर के जैसा दूसरा कोई नहीं – करीना कपूर

त हुई। जब फिल्म आई थी तो हर लड़की गीत ढिल्लों के किरदार में खुद को देखती थी। यदि आप पूछें कि कौन सा किरदार मुझे सबसे ज्यादा पसंद है तो मैं कहूंगी कि ‘जब वी मेट’ की गीत ढिल्लों।

अरब डायरी 2: ‘एनीमल’ से भी हिंसक होगी करण जौहर की ‘किल’?

करण जौहर ने अपनी नई फिल्म ‘किल’ के बारे में कहा कि यह हिंदी सिनेमा के इतिहास में संभवतः सबसे हिंसक फिल्म है जिसे एक साथ देखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हूं। इसे खाली पेट मत देखिएगा नहीं तो फिल्म देखने के बाद खाना नहीं खा पाएंगे। इसी साल टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में इस फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर हुआ था और कहा जाता है कि वहां इसे बहुत पसंद किया गया।

अरब डायरी 1: अमिताभ, शाहरुख मेरे आदर्श थे- रणवीर सिंह

सऊदी अरब के जेद्दा शहर में आयोजित तीसरे रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह की शुरुआत रणवीर सिंह के संवाद से हुई। उद्घाटन समारोह में हालीवुड की मशहूर अभिनेत्री शैरोन स्टोन और फेस्टिवल प्रमुख मोहम्मद अल तुर्की ने रणवीर सिंह को सम्मानित किया।

‘आदिपुरुष’ की प्रमोशनल स्ट्रेटजी के मायने

हाल ही में जारी किये गये फिल्म ‘आदिपुरुष’ के ट्रेलर में भगवान राम के मुंह से निकलने वाले एक संवाद में कहा जा रहा है, ‘आज मेरे लिए मत लड़ना, उस दिन के लिए लड़ना जब भारत की किसी बेटी पर हाथ डालने से पहले दुराचारी तुम्हारा पौरुष याद करने के पहले थर्रा उठेगा।

ओटीटी कंटेंट में गंदगी पर बॉलीवुड भी बोलने लगा

खुलकर के गाली-गलौज और अश्लील संवादों का इस्तेमाल सबसे पहले फिल्मों में फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप ने न सिर्फ शुरू किया था, बल्कि ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ और ‘रियलिस्टिक क्रिएटिव टच’ के नाम पर इसको लगातार जस्टिफाई भी करते रहे।

दुनिया में ऐसा कहां सबका नसीब है… : पुण्य तिथि पर आनंद बक्शी की याद 

आनंद बक्शी की तमन्ना थी कि वो आख़िरी दिन तक गाने लिखते रहें। ज़िंदगी के आख़िरी दो महीनों में उन्होंने नौ गाने लिखे। ये गाने अनिल शर्मा और सुभाष घई के लिए थे। बक्शी जी भूतपूर्व फ़ौजी थे और हमेशा इज़्ज़त से विदा होना चाहते थे। वो क़तई नहीं चाहते थे कि रिटायर हो जाएँ और बीमारी की वजह से काम बंद कर दें। वो कहते थे-
‘इससे पहले कि फ़िल्म इंडस्ट्री मुझे छोड़े, मैं फ़िल्म इंडस्ट्री को छोड़ना चाहता हूँ।‘