टॉक सिनेमा ऑन द फ़्लोर– एक सार्थक शुरुआत

नई दिल्ली फिल्म फाउंडेशन (NDFF) की पहल ‘टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर’ का पहला सत्र 28 जून को SACAC, नई दिल्ली में उत्साह और रचनात्मक ऊर्जा के साथ आयोजित हुआ। इस आयोजन ने न केवल सिनेमा प्रेमियों और नवोदित फिल्मकारों को जोड़ने का काम किया, बल्कि NDFF के ‘मेक सिनेमा’ जैसे सार्थक अभियानों की घोषणा के साथ एक नई सिनेमाई संस्कृति की दिशा में ठोस कदम भी बढ़ाया।
– NDFF एडिटोरियल डेस्क
नई दिल्ली फिल्म फाउंडेशन (NDFF) द्वारा शुरू की गई इंटरैक्टिव पहल ‘टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर’ का पहला सत्र 28 जून को श्री अरबिंदो सेंटर फॉर आर्ट्स एंड क्रिएटिविटी (SACAC), नई दिल्ली में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। इस आयोजन में मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्किल्स काउंसिल (MESC) ने सहयोगी की भूमिका निभाई।
यह मंच दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सिनेमा से जुड़े विभिन्न रचनात्मक व्यक्तित्वों, जैसे राइटर, डायरेक्टर, विभिन्न आर्टिस्ट-एक्टर, टेक्नीशियन, प्रोड्यूसर, इन्वेस्टर, पॉलिसी मेकर, इंडस्ट्री एक्सपर्ट के साथ-साथ फिल्म स्कॉलर्स और सिनेमा के शौकीनों को भी एक मंच पर लाकर, उन्हें संवाद, विचार-विमर्श, सहयोग और प्रोजेक्ट निर्माण के अवसर देने की दिशा में एक संगठित प्रयास है।
कुछ नया करने के मकसद और जुनून से भरी एक सुबह

कार्यक्रम की शुरुआत मेलजोल बढ़ाने के लिहाज़ से सभी प्रतिभागियों के परिचय और उनकी पसंदीदा फिल्म पर क्रिस्प चर्चा के साथ हुई। इसमें श्री अरबिंदो सेंटर फॉर आर्ट एंड क्रिएटीविटी की डायरेक्टर सुश्री दलजीत वाधवा ने SACAC का परिचय दिया और सिनेमा को लेकर अपनी दृष्टि साझा की। NDFF के संस्थापक अशीष के. सिंह ने NDFF की सोच और टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर की परिकल्पना को साझा किया। उन्होंने कहा:
“यह एक ऐसी जगह है जहाँ न केवल कहानियाँ जन्म लेंगी, बल्कि वो लोग भी मिलेंगे जो उन्हें जीते हैं, लिखते हैं, और सिनेमा के माध्यम से साझा करना चाहते हैं।”
उन्होंने इस अवसर पर NDFF की नई फिल्म निर्माण मुहिम ‘मेक सिनेमा – स्मॉल फिल्म्स, बिग वॉयसेज़’ की घोषणा भी की, जिसके तहत अगले छह महीनों में छह लघु फिल्मों के निर्माण की योजना है।
क्राफ्ट एंड क्रू:पटकथा, शैली और संरचना

टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर के पहले सत्र का पहला खंड रहा ‘क्राफ्ट एंड क्रू’ जिसमें डॉ. विकास सिंह ने स्क्रीनप्ले रचना, सबप्लॉट और शैली आधारित लेखन पर व्यावहारिक सत्र लिया। डॉ विकास सिंह एक सीनियर फिल्ममेकर और शिक्षक हैं और दिल्ली यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं। वो ली स्ट्रासबर्ग थिएटर एंड फिल्म इंस्टीट्यूट (न्यूयॉर्क) से प्रशिक्षित हैं और मुंबई में यशराज फिल्म्स समेत कई प्रमुख फिल्म प्रोडक्शन कंपनियों में काम कर चुके हैं। उन्होने अपने न्यूयॉर्क और मुंबई फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े अनुभवों के आधार पर सिनेमा लेखन को एक नई दृष्टि से समझाया।
डॉ सिंह ने स्क्रीनप्ले की संरचना और जॉनर ट्रीटमेंट के लिए कुछ प्रमुख टिप्स दिए। उन्होने आधुनिक समय में फिल्ममेकिंग स्टोरीटेलिंग की बदलती स्टाइल के नज़रिए से भी महत्वपूर्ण जानकारी दी। यह सत्र युवाओं और नवोदित फिल्मकारों के लिए विशेष रूप से उपयोगी रहा।
सिनेमा में कुछ कर दिखा चुकी शख्सियतों पर: स्पॉटलाइट
सत्र का दूसरा महत्वपूर्ण सेगमेंट रहा स्पॉटलाइट। इसमें ऐसे दर्शकों को सिनेमा से जुड़े ऐसे लोगों से संवाद करने का मौका मिलता है, जिन्होने सिनेमा से जुड़े किसी भी क्षेत्र में अहम काम किया हो और अपने अनुभवों से दूसरे या नए फिल्ममेकर्स को फायदा पहुंचा सकते हों या विचार विमर्श के ज़रिए नई सोच को आगे बढ़ा सकते हों। स्पॉटलाइट खंड में स्वतंत्र फिल्मकार पवन के. श्रीवास्तव मुख्य अतिथि रहे। नया पता जैसी (बिहार की) पहली क्राउडफंडेड फिल्म और लाइफ ऑफ ऐन आउटकास्ट जैसी समाजिक फिल्में बनाने वाले फिल्ममेकर पवन ने कहा:
“सिनेमा सिर्फ प्रशिक्षण से नहीं, बल्कि जुनून और ज़रूरत से बनता है। आपकी कहानी में आपकी दृष्टि होनी चाहिए—दूसरों के किए कामों की नक़ल नहीं।”
उन्होंने अपनी आगामी फिल्म I Am Draupadi के बारे में भी बताया, जिसमें जाने-माने एक्टर रजित कपूर और बिदिता बाग प्रमुख भूमिका में हैं। उन्होंने नई पीढ़ी के फिल्मकारों को अपनी सिनेमाई भाषा खुद खोजने की प्रेरणा दी। उन्होने कहा कि फिल्में बनाना आपको पसंद है या वो आपका जुनून है, तो रास्ते में आने वाली अड़चनें कभी मुश्किल या संघर्ष नहीं लगेंगी।

टेक द फ्लोर:टैलेंट शोकेस, पिचिंग का 5 मिनट का मंच

कार्यक्रम का सबसे जीवंत हिस्सा रहा ‘टेक द फ्लोर: द 5 मिनट विंडो’, जिसमें चुने हुए प्रतिभागियों को मंच पर आकर अपनी कहानी, आइडिया या प्रतिभा को प्रस्तुत करने का अवसर मिला। अभिनेता पंकज कटारिया (वेब सीरीज़ पाताल लोक, फिल्म दिल्ली क्राइम) ने अपने कामों की झलक एक ऑडियो-विजुअल क्लिप के ज़रिए साझा की और अपने काम और जीवन-दर्शन के बारे में संक्षेप में बताया। कुछ अन्य प्रतिभागियों, युवाओं ने अपनी शॉर्ट फिल्म का कॉन्सेप्ट प्रस्तुत किया।
यह खंड आने वाले हर सत्र का हिस्सा होगा और उभरती प्रतिभाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन सकता है।
‘मेक सिनेमा’अभियान की घोषणा

NDFF ने इस अवसर पर अपने आगामी अभियान ‘मेक सिनेमा’ का प्रारंभिक परिचय दिया। इस अभियान के तहत अगले 6 महीनों में 6 सशक्त लघु फिल्में बनाई जाएंगी। इनमें क्रिएटिव भूमिका के लिए कुछ प्रतिभागी TCOTF सत्रों से चुने जाएंगे।
“कहानी का फॉर्मेट मायने नहीं रखता, बल्कि उसकी सच्चाई और उद्देश्य मायने रखता है,” NDFF के संस्थापक अशीष के. सिंह ने कहा।
इस अभियान के तहत क्रिएटिव रोल के लिए ओपन कॉल के ज़रिए लोग चुने जाएंगे। बेहतरीन आइडिया देने वाले… चुनिंदा राइटर्स- फिल्ममेकर्स की शॉर्टलिस्टिंग होगी और अंत में उनकी टीम बनाकर 6 फिल्मों को बनाने में कदम दर कदम सहयोग, ज़रूरी मार्गदर्शन और मेंटरशिप प्रदान किया जाएगा।
इस सिलसिले में जल्द ही औपचारिक कॉल फॉर एंट्रीज़ की घोषणा की जाएगी।
विंटेज पोस्टर प्रदर्शनी:सिने इतिहास की झलक
कार्यक्रम में फिल्म इतिहास को भी बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया गया। फिल्म पोस्टर संग्रहकर्ता अशोक कुमार कश्यप और धीरज कश्यप द्वारा क्यूरेट की गई विंटेज पोस्टर प्रदर्शनी में गुरु दत्त और राज कपूर की फिल्मों के दुर्लभ और ओरिजिनल पोस्टर प्रदर्शित किए गए। राज कपूर और गुरु दत्त के जन्म शताब्दी वर्ष को देखते हुए ये उनके प्रति एक श्रद्धाजंलि थी। इसके अलावा भी कई पुरानी फिल्मों के ओरिजनल पोस्टर और लॉबी कार्ड प्रदर्शित किए गए। नई पीढ़ी के फिल्मप्रेमियों के लिए ये प्रदर्शनी काफी दिलचस्प रही।


नेटवर्किंग, ऊर्जा और NDFF की प्रतिबद्धता

वैभव मैत्रेय, कार्यकारी निदेशक (ब्रांडिंग और मार्केटिंग), NDFF ने कार्यक्रम की आत्मनिर्भरता
और दीर्घकालीन दृष्टि को स्पष्ट किया। उन्होने आशीष के सिंह के साथ मुख्य अतिथियों-वक्ताओं को NDFF की ओर से धन्यवाद ज्ञापन किया। वैभव ने कहा-
“हम सिर्फ एक कार्यक्रम या इवेंट नहीं कर रहे—बल्कि हम एक सांस्कृतिक आंदोलन की शुरुआत कर रहे हैं. और इसमें हम उन सभी को आमंत्रित करते हैं जिनके पास स्टोरी है, स्किल है या फिर इस मुहिम से जुड़ने का जुनून है।”
अंत में श्री अरबिंदो सेंटर फॉर आर्ट्स एंड क्रिएटिविटी (SACAC) की निदेशक सुश्री दलजीत वाधवा ने भागीदारों का आभार जताते हुए इस पहल को राजधानी में रचनात्मक संवाद की आवश्यकता से जोड़ा। उन्होने आज के माहौल में ऐसी मुहिम को बेहद ज़रुरी और सार्थक बताया।
कार्यक्रम का संचालन महक आनंद और प्रियांशु कुमार ने किया, जबकि देवेश मांझी ने कोऑर्डिनेशन किया और कृष गुप्ता ने प्रोडक्शन की ज़िम्मेदारी निभाई। मीडिया कवरेज और फोटोग्राफी में प्राशिक मेश्राम और सिमरन सक्रिय रहे।
अंत में सभी सहभागियों और अतिथियों ने नेटवर्किंग टी में हिस्सा लिया और इस दौरान एक-दूसरे से परिचय और भावी सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की। अब ‘टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर’ का अगला आयोजन जुलाई के महीने में होगा, जिसकी तारीख और रजिस्ट्रेशन लिंक का ऐलान जल्द ही किया जाएगा।


28 जून के इवेंट की मीडिया कवरेज और लिंक
