मृणाल सेन की ‘भुवन शोम’ वाया गौरी

हिंदी सिनेमा में रियलिज़्म की नींव भले ही ‘नीचा नगर’ के ज़रिए चेतन आनंद और ख्वाजा अहमद अब्बास ने 1946 में ही रख दी थी, मगर समांतर, समानांतर, कला फिल्मों या सार्थक फिल्मों के...

फिल्म समीक्षा: भेदभाव की ‘गुठली’, अधिकार का ‘लड्डू’

दलितों, अनुसूचित जातियों के लोगों को केंद्र में रख भेदभाव की कहानियां कई बार कही गई हैं। दक्षिण भारतीय सिनेमा की ऐसी कहानियां खास करके पूरी दुनिया में चर्चित रहीं। बॉलीवुड में भी ऐसी कई कहानियां आती रही हैं जिन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है, लेकिन मौजूदा दौर में इसे लेकर सजगता, सक्रियता और रचनात्मकता बढ़ गई है।

‘मदर इंडिया’ का महान फिल्मकार महबूब ख़ान

अपने तीस साल के फिल्मी करियर में महबूब खान ने  हॉलीवुड की तरह ही भव्य और तकनीकी  स्तर पर  श्रेष्ठ फिल्में बनाने की  कोशिश की। ‘आन देश’ की पहली  टेक्नीकलर फिल्म थी। ‘मदर इंडिया’ को  उनकी ऑल टाइम ग्रेट फिल्म कहा जाता  है और इसे क्लासिक फिल्म का दर्जा प्राप्त है।

उत्तम कुमार: एक सितारा जो आज तक चमकता है

उत्तम कुमार बंगाल के लोगों के चहेते थे, जिन्होंने उन्हें महानायक का खिताब दिया था। बंगाल में कोई और अभिनेता नहीं हुआ, जिसने तीन दशक में उत्तम कुमार जितना कद हासिल किया हो। उन्होंने 200 से अधिक फिल्मों में काम किया था।

‘चंपारण मटन’: ‘मटन’ की ख्वाहिश, ‘चंपारण’ का प्रतिरोध

फिल्म ‘चंपारण मटन’ की सफलता की सार्थकता सिर्फ ऑस्कर नाम से जुड़े चकाचौंध वाले मुकाम या उससे जुड़े तमाम आंकड़ों भर में नहीं है.. ‘चंपारण मटन’ की कामयाबी इस फिल्म को देखकर ही समझा जा सकता है। ये वो सिनेमा है जो हमें आज चाहिए।

अपने बूते खड़ा होना सिखाती ‘लव ऑल’

हिंदी सिनेमा में बैडमिंटन को आधार बना ‘साइना’ नाम से बायोपिक भी बन चुकी है।  लेकिन वह फ़िल्म कोई ख़ास कमाल नहीं दिखा पाई थी। परन्तु ‘लव ऑल’ उसी कमी को पूरा करती है और एक देखने लायक फिल्म बन जाती है।

ओएमजी2: सेंसर के 27 कट और ए सर्टिफिकेट पर सवाल क्यों?

फिल्म ‘ओ माई गॉड 2’ को सेक्स एजुकेशन पर बनी एक बेहतरीन फिल्म करार दिया जा रहा है और साथ ही फिल्म सेंसर बोर्ड द्वारा 27 कट के बाद दिये गये ‘ए’ सर्टिफिकेट पर भी आपत्ति  जताई जा रही है। अब ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या यह फिल्म वाकई में एक एजुकेशनल फिल्म है, और यदि यह एजुकेशनल फिल्म है तो यह किन लोगों को एजुकेट करती है, और क्यों करती है?

गुलज़ार की फिल्मों का ज़िंदगीनामा

एक शायर और गीतकार के तौर पर गुलज़ार आज भी सक्रिय हैं, लोकप्रिय हैं और प्रासंगिक हैं। बल्कि साल दर साल उनकी लोकप्रियता और मुकाम और ऊंचाई हासिल करता जा रहा है। 89वें जन्मदिन के मौके पर चर्चा फिल्मकार गुलज़ार और उनकी फिल्मों की।

OMG2: एक ‘मस्ट वॉच’ फिल्म

निर्देशक अमित राय ने बड़े तार्किक और दिलचस्प सिनेमाई कौशल के साथ अपनी नई फिल्म ‘ओह माय गॉड -2’ में यह सवाल उठाया है कि हमारे स्कूली पाठ्यक्रम में सेक्स एजुकेशन जरूरी क्यों है?

बदल चुका है पाकिस्तान का सिनेमा ‘जिंदगी तमाशा’ से

“जिंदगी तमाशा” पाकिस्तान की एक ऐसी फिल्म है जिसे देखते समय आप अपनी सांसों तक को महसूस करना भूल जाते हैं। फिल्म एक मौलवी के संघर्ष को बयां करती है। जिसका डांस करते एक वीडियो वायरल हो जाता है।  उसके बाद लोग उसके खिलाफ हो जाते हैं। लोग कहते हैं कि जो शख्स पांच का वक्त नमाज पढ़ता है वो ऐसा कैसे कर सकता है। इसी कहानी को लेकर पाकिस्तान में विवाद हो गया।