ऑस्कर, रोमा और मेक्सिको
- आशीष कुमार सिंह
91वें ऑस्कर के लिए 10 नामांकन पाने वाली मेक्सिकन फिल्म ‘रोमा’ ने तीन ऑस्कर जीतकर कई लिहाज़ से इतिहास रच दिया है। हॉलीवुड के सबसे प्रतिभाशाली निर्देशकों में गिने जाने वाले मेक्सिकन मूल के अलफोंसो क्वेरोन ने अपनी फिल्म ‘रोमा’ का स्क्रीनप्ले भी खुद लिखा, जिसके लिए वो नामांकित हुए थे, और इसकी सिनेमैटोग्राफी भी खुद की थी। ऑस्कर के इतिहास में पहली बार है जब किसी फिल्मकार ने एक ही साल बेस्ट डायरेक्टर के साथ साथ बेस्ट सिनेमैटोग्राफी के लिए भी ऑस्कर पाया हो।
दिलचस्प बात ये है कि ‘रोमा’ एक ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म है। 1994 में आयी स्टीवन स्पिलबर्ग की ‘द शिंडलर्स लिस्ट’ के बाद ये पहली ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म है, जिसे सिनैमेटोग्राफी के लिए ऑस्कर मिला है। इससे पहले क्वेरोन ने 2014 में फिल्म ‘ग्रेविटी’ के लिए बेस्ट डायरेक्टर का ऑस्कर जीतकर भी एक इतिहास रचा था, वे ऑस्कर जीतने वाले पहले मेक्सिकन (स्पेनिशभाषी) फिल्ममेकर बने थे।
मेक्सिकन फिल्मकारों का कमाल
ये भी दिलचस्प है कि जिस दौर में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अमेरिका और मेक्सिको के बीच दीवार खड़ी करने की ज़िद पर अड़े हुए हैं, उसी दौर में मेक्सिकन फिल्मकारों का जादू हॉलीवुड में सिर चढ़कर बोल रहा है। क्वेरोन के इस अवॉर्ड ने सिनेमा में दिलचस्पी रखने वालों का ध्यान मेक्सिको के फिल्मकारों और वहां की फिल्ममेकिंग की ओर पहली बार खींचा था। इसके बाद मेक्सिकन फिल्मकारो ने अपने बेहतरीन काम से इस पहचान को और मज़बूत किया। अगले ही साल 2015 में अलासांद्रो ओंगालेज़ इनारितु ने ‘बर्डमैन’ के लिए बेस्ट पिक्चर, बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट स्क्रीनप्ले (खुद) समेत कुल 7 ऑस्कर हासिल किए। ठीक एक साल बाद इनारितु ने 2016 में लियोनार्डो डी केप्रियो की फिल्म ‘द रेवनेंट’ के लिए एक बार फिर बेस्ट डायरेक्टर का ऑस्कर जीता। ‘द रेवनेंट’ ने कुल 8 ऑस्कर जीते थे।
और फिर पिछले साल 2018 में भी मेक्सिकन मूल के ही गिलेरमो डेल तोरो ने अपनी बेहतरीन फिल्म ‘द शेप ऑफ़ वॉटर’ के लिए एक बार फिर बेस्ट पिक्चर और बेस्ट डायरेक्टर समेत 8 ऑस्कर जीता।
रोमा और डोमेस्टिक वर्कर
फिल्म ‘रोमा’ एक मेक्सिकन परिवार में डोमेस्टिक वर्कर की ज़िंदगी पर आधारित फिल्म है। इस फिल्म के लिए बेस्ट डायरेक्टर का ऑस्कर लेने स्टेज पर आए क्वेरोन ने अपने संबोधन में ऑस्कर ऐकैडमी का एक ऐसी फिल्म को सम्मानित करने के लिए धन्यवाद किया जो घरों में काम करने वाली मेड की ज़िंदगी पर आधारित थी। उन्होने दुनिया भर की उन 70 मिलियन डोमेस्टिक वर्कर्स का भी ज़िक्र किया, जिनके कोई अधिकार नहीं हैं। इस फिल्म का मूल स्रोत क्वेरोन की बचपन की स्मृतियां बनीं। क्वेरोन का बचपन मेक्सिको सिटी से लगे ‘कोलोनिया रोमा’ नाम के शहर में बीता था।
फिल्म रोमा का मुख्य किरदार क्लियो दरअसल उनकी बचपन की नैनी (दाई) लीबो से प्रेरित है, जो आज भी ज़िंदा हैं और 74 साल की हो चुकी हैं। ऑस्कर जीतने के बाद क्वेरोन ने फिल्म से जुड़े तमाम लोगों का स्पेनिश में मुचास ग्रासियास कह कर शुक्रिया अदा करने के साथ साथ अपने बचपन की उस नैनी लीबो का खासतौर पर शुक्रिया अदा किया। बढ़ती आर्थिक असमानता और विस्थापन के दौर में दूसरे घरों में काम करने को मजबूर आधी आबादी की एक बड़ी तादाद के जीवन को करीब से देखने औऱ समझने के लिए और एक नया नज़रिया देने के लिए हमारे दौर का सिनेमा भी क्वेरोन का शुक्रगुज़ार रहेगा।