भारतीय सिनेमा की नई इबारत गढ़ती बांग्ला फिल्म ‘दोस्तजी’ पहुंची ताइवान
बांग्ला फिल्म दोस्तजी जब बंगाल के थिएटरों में रिलीज़ हुई तो इसे देखने के लिए लोग उमड़ पड़े। इसे आम और खास दोनों ही दर्शकों और समीक्षकों ने पसंद किया। इसके बाद इसके ग्लोबल रिलीज़ की तैयारी हुई, और वहां भी ये एक के बाद एक झंडे गाड़ रही है। एकैडमी ऑफ मोशन आर्ट एंड साइंसेज़ के नियमों के मुताबिक ये फिल्म ऑस्कर के लिए पहले ही क्वालीफाई कर चुकी है। यानी अगर भारत सरकार इसे बतौर आधिकारिक प्रविष्टि नहीं भी भेजे तो भी बड़े पैमाने पर ग्लोबल रिलीज़ की वजह से ये ऑस्कर के लिए नामांकित हो सकेगी। कोलकाता के वरिष्ठ पत्रकार जयनारायण प्रसाद लगातार इस फिल्म से जुड़ी अपडेट देते रहे हैं। अब इस फिल्म की ताइवान में रिलीज़ को लेकर उन्होने कुछ जानकारियां साझा की हैं, जो हम यहां डाल रहे हैं। जयनाराय़ण प्रसाद इंडियन एक्सप्रेस समूह के अखबार जनसत्ता कलकत्ता में 28 सालों तक काम करने के बाद रिटायर होकर कलकत्ता में ही रहते हैं। हिंदी में एम ए जयनारायण प्रसाद ने सिनेमा पर व्यापक रुप से गंभीर और तथ्यपरक लेखन किया है। गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी, गायक मन्ना डे, फिल्मकार श्याम बेनेगल, अभिनेता शम्मी कपूर से लेकर अमोल पालेकर, नसीरुद्दीन शाह और शबाना आज़मी तक से बातचीत। जयनारायण प्रसाद ने जाने माने फिल्मकार गौतम घोष की राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त बांग्ला फिल्म ‘शंखचिल’ में अभिनय भी किया है।
हिंदू-मुस्लिम सद्भभाव पर बनी एक बांग्ला फिल्म ‘दोस्तजी’ (टू फ्रेंड्स) आज 28 जुलाई, 2023 से ताइवान में रिलीज हो गई है। वहां की मैंडरिन भाषा में रिलीज हो रही इस फिल्म को देखने के लिए लोग उत्सुकता से इंतजार कर रहे थे। इससे पहले फिल्म ‘दोस्तजी’ उत्तरी अमेरिका, मध्य-पूर्व, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा के अनेक शहरों में दिखाई जा चुकी है। संयुक्त अरब अमीरात के दुबई, अबु धाबी, शारजाह और साढ़े पांच लाख की आबादी वाले अजमन सिटी में इसी साल यानी 17 मार्च, 2023 को जब ‘दोस्तजी’ रिलीज हुई, तो देखने वालों की लंबी कतार लग गई थी।
अब यह ताइवान की मैंडरिन जुबान में 28 जुलाई (2023) से रिलीज हो गई है। ताइवान के प्रमुख 16 सिनेमा हॉल में रोजाना तीन शो इसका निर्धारित है यानी रोजाना 48 शो। सबसे दिलचस्प बात ये है कि ताइवान में हिंदी फिल्में तो रिलीज़ होती रही हैं, लेकिन यह पहली बांग्ला फिल्म है, जो ताइवान में रिलीज हो रही है।
निर्देशक प्रसून चटर्जी की ये फिल्म वर्ष 1992 में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस और 1993 के बंबई बम विस्फोट की पृष्ठभूमि में चलती है। इस बांग्ला फिल्म ‘दोस्तजी’ (टू फ्रेंड्स) को अब तक 11 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं और भारत समेत दुनिया के 32 अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में ‘दोस्तजी’ दिखाई और सराही जा चुकी है। अमिताभ बच्चन तक ने इस बांग्ला फिल्म की सराहना की है। इस बांग्ला फिल्म में अमिताभ बच्चन की कुछ फिल्मों के पोस्टर लगे हैं और अमिताभ बच्चन के पोस्टर देखकर इस फिल्म के बच्चे (मुख्य किरदार) कैसे प्रभावित होते हैं, यह फिल्म यह भी दिखाती है।
यह बांग्ला फिल्म ‘दोस्तजी’ असल में भारत-बांग्लादेश सीमा के ग्रामीण इलाके की कहानी है, जहां बड़ी तादाद में हिंदू-मुस्लिम रहते हैं। इसी बीच, बाबरी मस्जिद तोड़ दी जाती है। सदियों से इस सरहद पर हिंदू-मुस्लिम सद्भाव के साथ रहते आए हैं, बच्चे साथ-साथ स्कूल में पढ़ते हैं, एक-दूसरे के घर आते-जाते हैं और साथ-साथ अमिताभ बच्चन की फिल्म भी देखते हैं।
और जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस होता है, तब उन मासूम बच्चों की जिंदगी पर क्या असर पड़ता है – यही इस बांग्ला फिल्म ‘दोस्तजी’ (टू फ्रेंड्स) की कहानी है। फिल्म ‘दोस्तजी’ के निर्देशक प्रसून चटर्जी के लिए दुनिया अब और ‘बड़ी’ हो गई है। 110 मिनट की यह बांग्ला फिल्म (दोस्तजी) हिंदू-मुस्लिम दो बच्चों के बहाने ‘बड़ों’ को एक बड़ा संदेश देती है।
सत्यजित राय, ऋत्विक घटक और मृणाल सेन की विरासत (लीगेसी) को निर्देशक प्रसून चटर्जी आगे बढ़ाना चाहते हैं। फिल्म ‘दोस्तजी’ की ताज़ा कामयाबी इसका सबूत है।