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बांग्ला फिल्म निहारिका: मन की परतों में छिपी कहानियों की सिनेमाई कविता

यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा कि  यह फिल्म एक कलात्मक मास्टरपीस है। ऐसा लगता है जैसे आप कोई महान साहित्यिक रचना पढ़ रहे हों, जहाँ दृश्य  आपकी आँखों के सामने अत्यंत सजीव रूप में घूम रहे हों। आप कहानी के प्रवाह से इस तरह जुड़ जाते हैं जैसे यह आपके समक्ष घटित हो रहा हो। ‘रील’ और ‘रियल’ का दायरा जैसे मिट- सा जाता है।

भारतीय सिनेमा की नई इबारत गढ़ती बांग्ला फिल्म ‘दोस्तजी’ पहुंची ताइवान

सत्यजित राय, ऋत्विक घटक और मृणाल सेन की विरासत (लीगेसी) को निर्देशक प्रसून चटर्जी आगे बढ़ाना चाहते हैं। फिल्म ‘दोस्तजी’ की ताज़ा कामयाबी इसका सबूत है।