New Delhi Film Foundation

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टॉक सिनेमा ऑन द फ़्लोर– एक सार्थक शुरुआत

नई दिल्ली फिल्म फाउंडेशन (NDFF) की पहल ‘टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर’ के पहले आयोजन ने आयोजन ने न केवल सिनेमा प्रेमियों और नवोदित फिल्मकारों को जोड़ने का काम किया, बल्कि NDFF के ‘मेक सिनेमा’ जैसे सार्थक अभियानों की घोषणा के साथ एक नई सिनेमाई संस्कृति की दिशा में ठोस कदम भी बढ़ाया।

टॉक सिनेमा ऑन द फ़्लोर: क्रिएटिव टैलेंट्स-फिल्म प्रेमियों का साझा मंच

कहानियों, कहानीकारों, फिल्मकारों और फिल्मों से जुड़ी कला के सभी कलाकारों के लिए एक मंच। आइए जुड़ें एक ऐसे मूवमेंट से, जो फिल्ममेकरों, कलाकारों, लेखकों और सपनों को आकार देने वालों के लिए एक रचनात्मक ईकोसिस्टम बना रहा है — बातचीत से लेकर सहयोग और निर्माण तक।

A Dream Realized: Neville Tuli’s Living Legacy

What began as Neville Tuli’s dream to preserve and democratize India’s cultural legacy has now blossomed into a living, breathing archive — a testament to his unwavering passion, vision, and decades-long devotion to the arts. This new platform echoes NDFF’s own mission to foster creativity, critical thinking, and cultural dialogue.

1947 के जूनागढ़ में छूटी एक घूंट चाय…

‘द मिनिएचरिस्ट ऑफ जूनागढ़’ उसी दौर पर बनाई एक शॉर्ट फिल्म है, जब हवा में फैली दहशत, नफ़रत, अनिश्चितता और शक ने लोगों की बुद्धि और विवेक का काफी हद तक नाश कर दिया था। ज़माना नहीं खराब था, पर हवा खराब थी।
29 मिनट की इस शॉर्ट फिल्म की दिल्ली में पहली बार स्क्रीनिंग आयोजित की गई, जिसमें फिल्म के डायरेक्टर कौशल ओज़ा भी दर्शकों से मुखातिब हुए और उनके सवालों का जवाब दिया।

Celebrating Diversity and Inclusivity in Cinema: 5th Edition of CIFFI

Delhi Metropolitan Education Media School Noida with Deakin University, Melbourne, Australia and the University of Nottingham, China Campus inaugurated a three-day international film festival CIFFI (Cineaste International Film Festival of India) on 7th Feb 2024.

Holocaust Book

होलोकास्ट की पुनर्रचना और दर्द से गुज़रता सिनेमा

“नाजी यातना शिविरों की त्रासद गाथा”, मानव इतिहास के इन सबसे काले पलों को फिल्मों के माध्यम से याद करती है। दो सौ छप्पन पृष्ठों की ये किताब बीस फिल्मों के माध्यम से होलोकास्ट के दौर के जीवन और समाज को देखने समझने वाली फिल्मों की पड़ताल करती है।