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Adoor Gopalakrishnan: The Relentless Innovator Who Redefined Malayalam Cinema

Adoor Gopalakrishnan has redefined the language of Indian cinema with his uncompromising vision, artistic courage, and deep-rooted cultural sensibility. On Adoor’s 84th birthday, this tribute by V K Cherian explores the milestones, methods, and the magical realism that mark Adoor’s unparalleled contribution to world cinema.

Remembering Rituparno Ghosh…

Rituparno Ghosh came into the limelight with ‘Unishe April’ in 1994. Over the next twenty years, and twenty feature films, he not only breathed new life into the industry, but also went on to wield the kind of influence and attain a stature that few film-makers from Bengal had before him.

कान 2025 (6): सत्यजीत रे की फिल्म ‘अरण्येर दिन रात्रि’ का नया अवतार

शर्मिला टैगोर ने कहा कि आज 55 साल बाद हम इस फिल्म का संरक्षित प्रिंट देखने जा रहे हैं। मैं इतनी दूर भारत से चलकर इसीलिए यहां आई हू। करीब पचपन साल पहले इसकी शूटिंग मध्य भारत के एक जंगल में हुई थी जहां बहुत तेज गर्मी पड़ती थी और एयर कंडीशनर जैसे सुख सुविधा का कोई साधन नहीं था। हम सब अलग-अलग खपरैल घरों में ठहरे थे। दो शिफ्ट में शूटिंग होती थी, सुबह साढ़े पांच से नौ बजे और शाम को तीन से छह बजे तक। बाकी समय हम अड्डा जमाते थे और एक दूसरे को जानने समझने की कोशिश करते थे और दोस्ती करते थे। बाद में हम सभी अद्भुत दोस्त बन गए।

दुर्गा का प्रयाण

दुर्गा को आप बंगाली, या भारतीय सिनेमा का चरित्र ही नहीं कह सकते। यह विश्व सिनेमा की धरोहर है। जैसे लियोनार्दो दा विंची की मोनालिसा।

नहीं रहीं ‘पथेर‌ पांचाली’ की दुर्गा

उमा दासगुप्ता ने दुर्गा के किरदार को ‘पथेर पांचाली’ में ऐसा जीवंत किया कि आज यह फिल्म दुनिया की एक ‘आइकोनिक मूवी’ बन गई है। ‘पथेर पांचाली’ को संसार की सौ बेहतरीन फिल्मों में शुमार किया जात है।

‘एकमात्र सत्यजित राय…’ – ऋत्विक कुमार घटक

जो भी हो, सत्यजित बाबू के शिल्पकर्म को लेकर यह आलोचना नहीं है। उनकी ‘पथेर पांचाली’ हम लोगों को या मेरी ज्ञान-पिपासा को कैसे संतुष्ट करती है, इसका लाक्षणिक बखान भर है यह ! सत्यजित राय पर ऋत्विक घटक के दुर्लभ आलेख का जयनारायण प्रसाद का किया हिंदी अनुवाद।

भारतीय सिनेमा के लिए ‘ऑस्कर’ का सबसे यादगार दिन

पुरस्कार देने से पहले सत्यजित राय से पूछा गया था आप किनके हाथों यह ऑस्कर ट्राफी लेना चाहेंगे? सत्यजित राय ने तत्काल अभिनेत्री ऑड्रे हेपबर्न का नाम लिया था। सत्यजित राय अभिनेत्री ऑड्रे हेपबर्न के बहुत बड़े फैन थे।

सत्यजित राय और उनका सिनेमा क्यों खास हैं?

संस्कृति, सिनेमा और मीडिया के गंभीर समीक्षक जवरीमल्ल पारख जी का ये लेख सत्यजित राय पर लिखी उनकी श्रृंखला की पहली कड़ी है। जो लोग सत्यजित राय के काम और उसकी अहमियत के बारे में विस्तार से नहीं जानते हैं, उन्हे ये लेख ज़रुर पढ़ना चाहिए।

Remembering Satyajit Ray – The Master He was

New Delhi Film Foundation in association with ‘Hindi Se Pyar Hai’ Group and Consulate General of India, New Yorkto Invite you for a stimulating and entertaining talk onRemembering Satyajit Ray – The Master He...