कान 2024 (1): कान में पहली बार 10 भारतीय फिल्में
फ्रांस में होने वाला 77वां कान फिल्म समारोह शुरू हो चुका है। इस बार के फेस्टिवल की एक खास बात ये भी है कि इतिहास में पहली बार दस भारतीय फिल्में आफिशियल सेलेक्शन में दिखाई जा रही है। भारत के वरिष्ठ फिल्म समीक्षक अजित राय इस साल भी कान पहुंचे हुए हैं। बड़ी बात ये है कि इस बार कान फेस्टिवल ने उनके काम और निरंतर कवरेज को देखते हुए उन्हे टॉप प्रायरिटी वाला प्रेस बैज उपलब्ध कराया है। प्रस्तुत है कान से भेजी उनकी पहली रिपोर्ट। अजित राय वरिष्ठ पत्रकार-फिल्म समीक्षकहैं जो दुनिया भर में घूमकर अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल कवर करते रहे हैं। उद्योगपति हिंदुजा बंधुओं के बॉलीवुड कनेक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन के ज़रिए भारतीय फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय फलक तक ले जाने के उनके योगदान पर अजित राय ने पिछले साल एक पुस्तक Hindujas And Bollywood लिखी थी, जो खासी चर्चित रही है।
हालीवुड की मशहूर अभिनेत्री मेरिल स्ट्रीप ने फ्रेंच अभिनेत्री जुलिएट बिनोश और कैमिली कोटीन के साथ मंगलवार की शाम 77वे कान फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन किया। हालीवुड की ही एक-दूसरी अभिनेत्री-निर्देशक ग्रेटा गेरविग (पिछले साल की चर्चित फिल्म ‘बार्बी’ की निर्देशक ) को इस बार मुख्य प्रतियोगिता खंड की जूरी का अध्यक्ष बनाया गया है। हॉलीवुड की ही एक और अभिनेत्री लिली ग्लैडस्टोन (स्कॉर्सेसी की ‘किलर्स ऑफ द फ्लावर मून’ की अभिनेत्री) भी जूरी की सदस्य हैं। जूरी की दूसरी महिला सदस्यों में लेबनान की प्रसिद्ध अभिनेत्री-निर्देशक नदीन लबाकी (मशहूर फिल्म केपरनॉम की निर्देशक) और फ्रेंच अभिनेत्री एवा ग्रीन भी है। मतलब यह कि यह कान फिल्म फेस्टिवल का स्त्री काल चल रहा है। मेरिल स्ट्रीप को जब ऑनरेरी पाम डी’ओर से नवाजा गया तो दस मिनट तक ग्रैंड थियेटर लूमिए तालियों से गूंजता रहा। उनके सम्मान में बोलते हुए जुलिएट बिनोश भावुक होकर रोने लगीं। जूरी की अध्यक्ष ग्रेटा गेरविग भी मंच पर बोलते हुए भावुक हो गईं। उन्होंने बस इतना कहा कि सिनेमा उनके लिए सबसे पवित्र चीज है।
क्वेंतिन डुपो की फ्रेंच फिल्म ‘द सेकंड ऐक्ट’ के प्रदर्शन के साथ विश्व का सबसे बड़ा फिल्मी मेला 77 वां कान फिल्म फेस्टिवल मंगलवार 14 मई की शाम शुरू हो गया। यह एक अलग तरह की फिल्म है जिसके पांच प्रमुख चरित्र सिनेमा और असल जिंदगी में आवाजाही करते रहते हैं। एक जवान बेटी अपने पिता को अपने प्रेमी से मिलवाने एक निर्जन इलाके में स्थित ‘द सेकंड ऐक्ट’ नामक बार में ले आती हैं। उसका प्रेमी उससे मुक्ति पाने के लिए अपने दोस्त को उससे करीबी बढ़ाने को उकसाता है। बार का मालिक जिंदगी से परेशान हैं और आत्महत्या करने की प्रैक्टिस करता है। पूरी फिल्म कथोपकथन शैली के संवादों में हैं। कहानी के भीतर भी फिल्म बन रही है और बाहर भी। अंत में हम अनंत दिशा की ओर भागती रेल की पटरी पर कैमरे को भागते हुए देखते हैं।
भारत के लिए 77 वां कान फिल्म समारोह बहुत खास बन गया है। कान फिल्म समारोह के 77 वर्षों के इतिहास में पहली बार दस भारतीय फिल्में आफिशियल सेलेक्शन में दिखाई जा रही है। इतना ही नहीं तीस साल बाद कोई भारतीय फिल्म मुख्य प्रतियोगिता खंड में चुनी गई है। वह फिल्म है पायल कपाड़िया की मलयालम-हिंदी फिल्म ‘ऑल वी इमैजिन ऐज लाइट’। इससे पहले 1994 में शाजी एन करुण की मलयालम फिल्म ‘स्वाहम’ प्रतियोगिता खंड में चुनी गई थी। पायल कपाड़िया जब भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान पुणे में पढ़ती थी तो 2017 में उनकी शॉर्ट फिल्म ‘आफ्टरनून क्लाउड्स’ अकेली भारतीय फिल्म थी जिसे 70 वें कान फिल्म समारोह के सिनेफोंडेशन खंड में चुना गया था। इसके बाद 2021 में उनकी डॉक्यूमेंट्री ‘अ नाइट ऑफ नोइंग नथिंग’ को कान फिल्म समारोह के डायरेक्टर्स फोर्टनाइट में चुना गया था और उसे बेस्ट डॉक्यूमेंट्री का गोल्डन आई अवार्ड भी मिला था। लेकिन इस बार पायल कपाड़िया ने इतिहास रच दिया है क्योंकि वे यहां ‘गॉडफादर’ जैसी कल्ट फिल्म बनाने वाले फ्रांसिस फोर्ड कपोला, ऑस्कर विजेता पाउलो सोरेंतिनों, माइकल हाजाविसियस और जिया झंके, अली अब्बासी, जैक आड्रियार्ड, डेविड क्रोनेनबर्ग जैसे विश्व के दिग्गज फिल्मकारों के साथ प्रतियोगिता खंड में चुनी गई है।
कान फिल्म समारोह के दूसरे सबसे प्रमुख खंड ‘अनसर्टेन रिगार्ड’ में इस बार दो भारतीय फिल्में ऑफिशियल सेलेक्शन में दिखाई जा रही है। संध्या सूरी की फिल्म ‘संतोष’ और बल्गारियाई निर्देशक कोंस्तानतिन बोजानोव की फिल्म ‘द शेमलेस’। डायरेक्टर्स फोर्टनाइट खंड में करण कंधारी की फिल्म ‘सिस्टर मिडनाइट’ दिखाई जा रही है जिसमें पंचायत वेब सीरीज फेम अभिनेता अशोक पाठक और राधिका आप्टे ने मुख्य भूमिका निभाई है। कान क्लासिक खंड में शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर की फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा संरक्षित की गई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ दिखाई जा रही है। दुनिया भर के फिल्म स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों की फिल्मों के विशेष खंड ‘सिने फाउंडेशन (ल सिनेफ) में भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान पुणे के चिदानंद एस नाइक की फिल्म ‘सन फ्लावर्स वेयर फर्स्ट वंस टु नो’ और यूके की मानसी महेश्वरी की फिल्म ‘बन्नीहुड’ चुनी गई है। एसिड खंड में माइसाम अली की फिल्म ‘इन रिट्रीट’ दिखाई जा रही है जो लद्दाख में शूट हुई हैं। कान फिल्म समारोह में इस बार एक नया खंड जोड़ा गया है – इम्मर्सिव कंपीटिशन। इसमें पौलोमी बसु की फिल्म चुनी गई है – ‘माया, द बर्थ ऑफ अ सुपर हीरो’। कान अक्रांस जूनियर खंड में शुची तलाती की फिल्म ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’ चुनी गई है। भारतीय सिनेमा के लिए यह एक ऐतिहासिक घटना है।
कान फिल्म समारोह में इस बार बहुत सारी भारतीय गतिविधियां हो रही है। मुंबई से अभय सिन्हा और अतुल पटेल के नेतृत्व में पहली बार इंडियन मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन का तीस से भी अधिक फिल्म निर्माताओं का एक बड़ा प्रतिनिधि मंडल कान के फिल्म बाजार में भाग ले रहा है। भारत मंडप इस बार एक खास उत्सव आयोजित कर रहा है, भारत पर्व। इंडियन पैवेलियन का नाम बदलकर भारत मंडप कर दिया गया है। आज बुधवार को भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सचिव संजय जाजू, फ्रांस में भारतीय राजदूत जावेद अशरफ और कान फिल्म समारोह के उप निदेशक और प्रोग्रामिंग हेड क्रिस्तियान जियून ने भारत मंडप का उद्घाटन किया। इस मंडप का संचालन फिक्की की ओर से लीना जैसानी और उनकी टीम कर रही है। उधर फिल्म बाजार में भारतीय उद्योगपतियों की संस्था कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री ( सी आई आई) ने भी एक विशाल भारत मंडप बनाया है जहां कई भारतीय फिल्म निर्माताओं ने भी अपने स्टाल लगाए हैं।
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