एक दक्ष अभिनेत्री, जिनका नाम था श्रीला मजुमदार
बांग्ला सिनेमा की जानी पहचानी अभिनेत्री श्रीला मजुमदार ने सत्तर और अस्सी के दशक में समांतर सिनेमा के ज़रिए भी एक गंभीर अभिनेत्री के तौर पर अपनी पहचान बनाई थी। उनके निधन पर श्रद्धांजलि स्वरुप कोलकाता के वरिष्ठ पत्रकार जय नारायण प्रसाद का विस्तृत आलेख। जयनाराय़ण प्रसाद इंडियन एक्सप्रेस समूह के अखबार जनसत्ता कलकत्ता में 28 सालों तक काम करने के बाद रिटायर होकर कलकत्ता में ही रहते हैं। हिंदी में एम ए जयनारायण प्रसाद ने सिनेमा पर व्यापक रुप से गंभीर और तथ्यपरक लेखन किया है। गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी, गायक मन्ना डे, फिल्मकार श्याम बेनेगल, अभिनेता शम्मी कपूर से लेकर अमोल पालेकर, नसीरुद्दीन शाह और शबाना आज़मी तक से बातचीत। जयनारायण प्रसाद ने जाने माने फिल्मकार गौतम घोष की राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त बांग्ला फिल्म ‘शंखचिल’ में अभिनय भी किया है।
विश्वास करना मुश्किल हो रहा है अभिनेत्री श्रीला मजुमदार अब इस धरती पर नहीं है!
निर्देशक मृणाल सेन, श्याम बेनेगल, प्रकाश झा, उत्पलेंदु चक्रवर्ती और कल्पना लाजमी जैसे बड़े निर्देशकों की फिल्मों में संवेदनशील भूमिका निभाकर श्रीला मजुमदार ने भारतीय सिनेमा में जो ऊंचाई हासिल की थीं, उसका तोड़ अब शायद ही हमें देखने को मिले।
1958 में कलकत्ता में पैदा हुईं श्रीला मजुमदार असल में निर्देशक मृणाल सेन की खोज थीं। वह कलकत्ता के बंगबासी कॉलेज से अभी ग्रेजुएट होकर निकली ही थीं और बांग्ला नाटक के रिहर्सल वगैरह में हिस्सा ले रही थी तभी निर्देशक मृणाल सेन की नज़र एक रिहर्सल के दौरान श्रीला मजुमदार पर पड़ी और सांवली रंग की श्रीला को मृणाल सेन ने अपनी अगली फिल्म के लिए चुन लिया। यह फिल्म थीं ‘परशुराम’ (1978)। उसके बाद से श्रीला मजुमदार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। लगातार अभिनय करती रहीं और मृणाल सेन की छह फिल्मों की अभिनेत्री रहीं। उनकी बांग्ला फिल्म ‘परशुराम’ (1978), ‘एक दिन प्रतिदिन’ (1979), ‘ ‘आकालेर संधाने’ (1980), ‘खारिज’ (1982), ‘खंडहर’ (1983) और ‘एक दिन अचानक’ (1989) में श्रीला मजुमदार का अभिनय काफी निखरा हुआ था। मृणाल सेन की बांग्ला फिल्म ‘आकालेर संधाने’ (अकाल की खोज) में तो वह स्मिता पाटिल की सह-अभिनेत्री थीं।
कैंसर से पीड़ित थीं नायिका : श्रीला मजुमदार पिछले तीन सालों से कैंसर की बीमारी से पीड़ित थीं। बीच में तंदुरुस्त भी हो गई थीं, लेकिन कैंसर से फिर जूझने लगीं और उनकी तबीयत अचानक गड़बड़ाने लगी। 27 जनवरी, 2024 की दोपहर को श्रीला मजुमदार ने हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़ दिया। अचानक हुईं उनकी मौत से बांग्ला सिने-संसार उदास है। श्रीला मजुमदार के करीबी और सहयोगी रो रहे हैं।
वर्ष 2003 में ऋतुपर्ण घोष निर्देशित एक बांग्ला फिल्म आई थीं ‘चोखेर बाली’। इस फिल्म में श्रीला मजुमदार ने अभिनेत्री ऐश्वर्या राय के लिए अपनी आवाज दी थीं। श्रीला मजुमदार की डबिंग की वजह से यह फिल्म और भी मशहूर हो गई थीं। लोग जानने लगे गए थे यह आवाज ऐश्वर्या राय की नहीं, अभिनेत्री श्रीला मजुमदार की है।
अभिनेत्री श्रीला मजुमदार ने कल्पना लाजमी की फिल्म ‘एक पल’ (1986) में अहम भूमिका निभाई थीं। इस फिल्म में शबाना आजमी, नसीरुद्दीन शाह और दीना पाठक भी थीं। साथ में श्रीला मजुमदार के खूबसूरत अभिनय ने इस फिल्म में चार चांद लगा दिया था। इसके अलावा निर्देशक उत्पलेंदु चक्रवर्ती की मशहूर बांग्ला फिल्म ‘चोख’ (1983) में श्रीला मजुमदार ने खास भूमिका निभाई थीं। वह इस फिल्म में यदुनाथ की विधवा बनी थीं।
अभिनेत्री श्रीला मजुमदार ने निर्देशक मृणाल सेन के साथ तो काम किया ही था – बाद के दिनों में मशहूर फिल्मकार श्याम बेनेगल की दो फिल्मों की भी वह अभिनेत्री रहीं। इनमें एक थीं फिल्म ‘आरोहण’ (1982) और दूसरी थीं फिल्म ‘मंडी’ (1983)। फिल्म ‘आरोहण’ में श्रीला मजुमदार ने एक अहम किरदार निभाया था, वहीं वह फिल्म ‘मंडी’ में एक गूंगी लड़की ‘फूलमणि’ की भूमिका में थीं।
बांग्ला और हिंदी सिनेमा की जानी-पहचानी अभिनेत्रियों में से एक श्रीला मजुमदार की आकस्मिक मौत पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गहरा शोक जताते हुए कहा कि श्रीला मजुमदार के स्थान को भरना मुश्किल है। वे एक बड़े कदम वाली अभिनेत्री थीं। उनके परिवार में अब पति एसएन आब्दी और एक मात्र बेटा सोहेल आब्दी है। पति एसएन आब्दी कभी ‘इलेस्ट्रेटेड वीकली’ जैसे अखबार में नामी जर्नलिस्ट थे।